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बीमा कंपनियां समय से नहीं देंगी आपको पैसा तो भरना होगा हर्जाना

NHPS स्कीम के तहत, यदि कोर्इ बीमा कंपनी क्लेम पेमेंट करने में 15 दिन से अधिक समय लगाती है तो उन्हें ब्याज का एक फीसदी प्रति सप्ताह के हिसाब से जमा करना होगा।

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बीमा कंपनियां समय से नहीं देंगी आपको पैसा तो भरना होगा हर्जाना

नर्इ दिल्ली। सरकार अब उन बीमा कंपनियाें पर पेनाल्टी लगाने वाली है जो नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम(एनएचपीएस) के तहत बीमा भुगतान में देर करती हैं। इस स्कीम के तहत, यदि कोर्इ बीमा कंपनी क्लेम पेमेंट करने में 15 दिन से अधिक समय लगाती है तो उन्हें ब्याज का एक फीसदी प्रति सप्ताह के हिसाब से जमा करना होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि बीमा कंपनी गुरुवार को जारी किए गए मॉडल निविदा दस्तावेज के मुताबिक सीधे संबंधित अस्पताल में जुर्माना अदा करेगी। मॉडल निविदा दस्तावेज में प्रक्रियाओं और उनकी दरों की एक सूची भी शामिल है जो योजना के तहत कवर किए जाएंगे, जिनके लिए पूर्व-प्राधिकरण की आवश्यकता होती है।


केन्द्र सरकार के इस स्कीम के लिए 20 राज्यों ने एमआेयू पर किया हस्ताक्षर

बीस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अब तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ एनएचपीएस लागू करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य प्रति परिवार 5 लाख रुपये के हिसाब सेे प्रति वर्ष 10 करोड़ कमजोर परिवारों को कवर करना है। अधिकारी ने कहा कि चार राज्यों - दिल्ली, ओडिशा, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने इस योजना को अपनाने के लिए अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है, उन्होंने कहा कि इन राज्यों के साथ चर्चा उन्हें ऑनबोर्ड पर लाने के लिए है। इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अाने वाले 15 अगस्त से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लाल किले के प्राचीर से इस योजना की शुरूआत कर सकते है।


होगा दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थेयर प्रोग्राम

केन्द्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि, इसके बाद ये दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थकेयर प्रोग्राम बन जाएगा। इसका सबसे बड़ी वजह ये है कि वैश्विक स्तर पर देखें तो भारत दूसरी सबसे अधिक आबादी वाला देश है। केन्द्र सरकार द्वारा प्रोयजित इस स्कीम से गरीब, पिछड़े ग्रामीण परिवार आैर शहरी क्षेत्रों के श्रमिक परिवारों को लाभ मिलेगा। एक ताजा आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों से एेसे लोगों की अाबादी 8.03 करोड़ लोग आैर शहरी क्षेत्रों से 2.33 करोड़ लोग होंगे।


"राज्यों को बीमा कंपनियों या ट्रस्ट / सोसाइटी या मिश्रित मॉडल के माध्यम से इस योजना को लागू करने की अनुमति दी जाएगी और एसईसीसी डेटाबेस में वंचित मानदंडों के आधार पर निर्णय के साथ एक एंटाइटेलमेंट आधारित योजना होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 और 2019-20 के शुरुआती अनुमान पर इस योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।