
मुजफ्फनगर। सरकार द्वारा दंगों के आरोपियों के केस वापसी की प्रक्रिया शुरु करना हमारे जख्मों को फिर से हरा करने का काम कर रहा है। जिस तरह की जिंदगी हम व्यतीत कर रहे हैं शायद ही कोई इसे समझ पाएगा। ये बात लिसाध गांव की निवासी और दंगों में अपने पिता को खोने वाली ईनाम(26) ने एक अखबार से बातचीत करते हुए कहीं। दरअसल, योगी सरकार द्वारा दंगों के आरोपियों के 131 केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। जिसके बाद पीड़ित परिवार सरकार के इस कदम से आहात हैं।
ईनाम के बेटे सुकान (26) जो ईंट के भट्टे पर लेबर का काम करते हैं बताते हैं कि हमने अपने लोग खो दिए जिसके बाद सरकार द्वारा गांव से 10 कि.मी दूर हमजा कॉलिनी में मकान तो दिए गए लेकिन यहां सांप के काटने से हमारे दो रिश्तेदारों की मौत हो गई और दो बार हमारे साथ बंदूक की नौक पर चोरी की वारदात भी हो चुकी हैं। पहले हमारे पास हमारी जमीन थी लेकिन आज कुछ भी नहीं है। आज हम जिस परिस्थिति में जी रहे हैं वह शायद कोई सोच भी नहीं सकता।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार पुलिस के रिकॉर्ड में इन दंगों में कुतबा गांव के आठ लोगों की हत्या कर दी गई थी। जिसमें 110 लोगों पर केस दर्ज किया गया। गांव की रहने वाली अफसाना (30) जिनके ससुर की दंगों के दौरान हत्या कर दी गई कहती हैं कि उन्हें आज भी याद है जब दंगों के कुछ महीनों बाद उनके लोग गांव में पुलिसकर्मियों के साथ बचे हुए लोग और सामान लेने वापस आए थे और उसे बाद कभी वापस नहीं लौटे। वहीं
बता दें कि 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में हुए दंगों में 62 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 500 से अधिक केस दर्ज हुए थे। इनमें ज्यादातर केस जघन्य अपराध से जुड़े हैं और कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान है। इनमें से अब सरकार ने 131 केस की वापसी की प्रक्रिया शुरु कर दी है।
Published on:
23 Mar 2018 11:38 am
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