मुजफ्फरनगर के इस गांव में हुई पंचायत ने विधवा महिला के 5 बच्चों को दिलाया उसका हक

Rahul Chauhan | Publish: Sep, 02 2018 05:22:46 PM (IST) Muzaffarnagar, Uttar Pradesh, India
विधवा महिला के कहने पर गांव जौला में पंचायत का आयोजन किया गया।
मुजफ्फरनगर। जिले के एक गांव में हुई पंचायत द्वारा ऐतिहासिक फैसला सुनाने का मामला सामने आया है। जहां देश में पंचायतों के फैसलों को तुगलकी फरमान देने वाली संस्था के नाम पर बदनाम किया जाता है, वहीं शनिवार को मुज़फ्फरनगर के गांव जौला में हुई पंचायत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए परिवार की उपेक्षा से धोखाधड़ी का शिकार हुई एक 5 बच्चों की विधवा बेसहारा मां के पक्ष में फैसला सुना कर उसे इंसाफ दिलाया। जिसकी क्षेत्र में सराहना की जा रही है।
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दरअसल मामला बुढ़ाना कोतवाली क्षेत्र के गांव जौला का है, जहां 1 सप्ताह पूर्व एक व्यक्ति ने अपने वृद्ध पिता को बहला-फुसलाकर उसकी 60 बीघा जमीन बुढ़ाना तहसील में जाकर वसीयत अपने नाम करा ली थी, जिसके चलते वृद्ध की विधवा पुत्रवधू व उसके बच्चे बेसहारा हो गए थे। वृद्ध के 2 पुत्र थे जिनमें 1 पुत्र की 6 वर्ष पूर्व मृत्यु हो गई थी। वृद्ध के मृतक पुत्र के 4 पुत्रियां व 1 पुत्र है। वसीयत की जानकारी ग्रामीणों द्वारा मिलने पर पीड़ित परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई।
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फिर विधवा महिला ने इसकी जानकारी गांव के मौजिज लोगों को देते हुए इंसाफ की गुहार लगाई। विधवा महिला के कहने पर गांव जौला में पंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें पंचों ने ग्रामीणों के बीच ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए धोखाधड़ी से अपने वृद्ध पिता से वसीयत कराने वाले व्यक्ति को नसीहत देते हुए जमीन की वसीयत तुड़वाकर नई वसीयत बनाने का निर्णय लिया। जिसमें वृद्ध की पुत्रवधू व उसके पुत्र के नाम आधी जमीन की वसीयत करने को कहा गया है।
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पंचायत के इस निर्णय से जहां विधवा बेसहारा महिला को इंसाफ मिल गया है। वहीं पंचायत में इस फैसले की क्षेत्र में सराहना की जा रही है। इस दौरान पंचायत में किसान मजदूर एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलाम मोहम्मद भारतीय ने कहा कि शनिवार को हमने गांव में एक विधवा बेसहारा महिला को इंसाफ दिलाने के लिए पंचायत की है। पंचायत में यह निर्णय लिया गया है कि गांव में एक वृद्ध बुजुर्ग फरजंदा के दो संतानें थीं जिसमें से एक की मृत्यु हो गई थी, वहीं दूसरे भाई ने अपने वृद्ध पिता को बहला-फुसलाकर बुढ़ाना तहसील में ले जाकर जमीन की वसीयत अपने नाम करा ली थी। वहीं गांव में हुई पंचायत में दोनों हकदारों को बराबर-बराबर जमीनें दी गईं और वसीयत को तुड़वाकर दोनों के नाम आधी-आधी जमीन की वसीयत की गई।
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