Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एक घर ऐसा जिसके कमरे नागौर जिले में और दहलीज जयपुर में

चौसला (नागौर). अक्सर लोगों को एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए समय निकालकर और वाहन की व्यवस्था करने जाना पड़ता है। लेकिन सोचिये अगर आप ऐसे मकान में रहते हैं जिसकी दहलीज पर कदम रखते ही दूसरे जिले में पहुंच जाए तो कैसा लगेगा ? यह बात सुनने में अजीब जरूर लगे, लेकिन है सच।

3 min read
Google source verification
nagaur news nagaur

. नागौर जिले की सरहद पर चौपड़ा परिवार का मकान।

- तीन भाइयों का है एक मकान- कागजों पर एक के दस्तावेज नागौर जिले के और दो के जयपुर जिले के

मोतीराम प्रजापत

चौसला (नागौर). अक्सर लोगों को एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए समय निकालकर और वाहन की व्यवस्था करने जाना पड़ता है। लेकिन सोचिये अगर आप ऐसे मकान में रहते हैं जिसकी दहलीज पर कदम रखते ही दूसरे जिले में पहुंच जाए तो कैसा लगेगा ? यह बात सुनने में अजीब जरूर लगे, लेकिन है सच।

नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले और जयपुर जिले की सीमा पर एक ऐसा मकान है, जहां मकान नागौर जिले में है और इसका प्रवेशद्वार जयपुर जिले में खुलता है। मकान की दहलीज के सामने सड़क के एक ओर नागौर जिला लगता है और दूसरी तरफ जयपुर जिला ।

2010 में दोनों जिलों की सरहद पर आकर बसे

नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले के चौसला गांव से तीन किलोमीटर दूर दोनों जिलोंं की सीमा पर जयपुर जिले के त्योद गांव के रहने वाले सुवारामचौपड़ा ने 2010 में सरहद के पास खेत की जमीन खरीदी थी। वहां कुआं और मकान बनवाया। इस मकान में सुवाराम के साथ उसके दो भाई मूनाराम व कानाराम भी परिवार सहित रहते हैं। इस जमीन पर बना मकान नागौर जिले में आता है और प्रवेशद्वार जयपुर जिले में आता है।

दो भाई जयपुर व एक भाई नागौर जिले का

मजेदार बात यह है कि एक ही घर में तीनों भाई अलग-अलग जिलों के हैं। कागजों में दो भाई जयपुर जिले के व एक भाई नागौर जिले का है। मुनारामचौपड़ा के सभी सरकारी दस्तावेज, आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर आईडी नागौर जिले के बने हुए हैं। जबकि उसके भाई सुवाराम और कानाराम चौपड़ा के सभी दस्तावेज जयपुर जिले के बने हैं।

दिलों की दूरियां कम नहीं

मकान ने भले ही परिवार को दो जिलों में बंटा दिया, लेकिन परिवार के लोगों के दिलों की दूरियां कम नहीं हुई है। तीनों भाइयों का पूरा परिवार एक साथ रहता हैं। बस इन्हें अपने ही घर में घूमने के लिए एक जिले से दूसरे जिले में जाना पड़ता है। जब कोई इनके घर का दरवाजा खोलता है तो नागौर और बाहर निकलते ही जयपुर जिला नजर आता है। परिवार ही सीमाओं का फासला खत्म किए हुए हैं। जब कोई रिश्तेदार या कोई बाहरी व्यक्ति मिलने आता है और उसे यह पता लगता है कि घर के बाहर जयपुर जिले की सीमा है, तो वो हैरत में पड़ जाता है।

रहते जयपुर जिले में और खेती नागौर में

सरकार ने भले ही कागजों में दोनों जिलों के बंटवारे की लाइन खींची दी, लेकिन सरहद पर रहने वाले कई किसान आज भी खेत करने एक जिले से दूसरे जिले में जाते हैं। जैसे हनुमानराम चौधरी का पुश्तैनी मकान जयपुर जिले के त्योद पंचायत में है, लेकिन उनका पुश्तैनी खेत नागौर जिले की चौसला पंचायत के भाटीपुरा के पास है। वे रोज खेत में काम करने नागौर जिले में आता है।

सरहद पर रहने का भी फायदा

राजस्थान के जिलों में डीजल -पेट्रोल की कीमतों में काफी अंतर है। जयपुर क्षेत्र के पेट्रोल पंपों पर नागौर के मुकाबले डीजल -पेट्रोल सस्ता मिलता है। नागौर जिले के चौसला पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल रेट 105.50 पैसे और डीजल रेट 90.92 पैसे है। जबकि जयपुर जिले के खतवाड़ी पेट्रोल पंप पर 104.81 पैसे पेट्रोल और डीजल 90.08 पैसे है। इसलिए कई लोग डीजल पेट्रोल लेने के लिए जयपुर की तरफ जाते हैं।

इनका कहना

परिवार में कोई सरकारी कागजात बनवाना हो तो एक भाई को नावां (नागौर- डीवाना-कुचामन)) जाना पड़ता है और दो भाइयों को सांभर (जयपुर जिला) जाना पड़ता है।

मूनाराम चौपड़ा, ग्रामीण

....

शुरुआत में हमें बिजली कनेक्शन लिया तब मुश्किल आई थी। कनेक्शन जयपुर जिले से है, लेकिन बिजली बिल नावां में जमा होता है।

सुवाराम चौपड़ा, ग्रामीण

घर पर कोई रिश्तेदार या कोई बाहरी व्यक्ति आता है और उसे जब पता चलता है कि घर के बाहर जयपुर जिले की सीमा है, तो वो हैरान हो जाता है।

कानाराम चौपड़ा, ग्रामीण