-कांकरिया स्कूल में मंगलवार को आयोजित समारोह में कलक्टर कुछ को सम्मान के बाद चले जाने से फूटा गुस्सा, भामाशाह-प्रेरक करने लगे हो-हुल्लड़, कहने लगे कि ये उनका सम्मान नहीं अपमान है, लंबी जद्दोजहद-समझाइश के बाद मामला सुलझा
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
नागौर. कांकरिया स्कूल में मंगलवार को आयोजित सम्मान समारोह में कलक्टर के हाथों सम्मान नहीं होने पर ही कई भामाशाह-प्रेरक नाराज हो गए। अन्य किसी से सम्मानित होने पर इनकार कर अड़ गए। एक-डेढ़ घंटे तक इसी बात को लेकर दो गुट नजर आए। जैसे-तैसे जिला मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीडीइओ) सुरेंद्र सिंह शेखावत समेत कुछ शिक्षक नेताओं ने मोर्चा संभालकर मामला नियंत्रण में किया। बाद में एसडीएम आए और बात संभालते हुए शेष भामाशाह-प्रेरकों का सम्मान किया।
हुआ यूं कि मंगलवार की सुबह सेठ किशन लाल कांकरिया राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नागौर में भामाशाह-प्रेरक सम्मान समारोह का आयोजन था। जिला कलक्टर पीयूष समारिया बतौर मुख्य अतिथि इसमें शामिल हुए। इस कार्यक्रम में 330 लोगों का सम्मान होना था, इसमें 39 प्रेरक और शेष भामाशाह थे। कलक्टर ने भामाशाहों का विद्यालयों में सहयोग के लिए आभार जताते हुए आगे भी इसे बनाए रखने का आह्वान किया। सम्मान 330 का होना था, जो पूरे जिले से आए थे। ऐसे में कलक्टर ने पांच लाख से अधिक का सहयोग करने वाले करीब सौ भामाशाहों का सम्मान किया और किसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल होने की बात कहकर समारोह से चले गए।
फूट पड़ा गुस्सा
कलक्टर के जाते ही शेष रहे करीब दो सौ भामाशाह-प्रेरक में से कुछ अन्य के हाथ से सम्मानित होने पर नाराजगी जताने लगे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि सम्मान लेंगे तो सिर्फ कलक्टर से ही वरना लेंगे ही नहीं। धीरे-धीरे इनके साथ वालों की संख्या बढऩे लगी।
सीडीइओ सुरेंद्र सिंह शेखावत ने इनसे अपील की कि कार्यक्रम शिक्षा विभाग का है, कलक्टर को किसी अन्य कार्यक्रम में जाना था, अत: सबका सम्मान हमारी जिम्मेदारी है। बावजूद इसके कई लोगों ने इसे अनसुना कर दिया। मामला बढ़ता देख शिक्षक नेता अर्जुन लोमरोड ने मंच संभाला और भामाशाह-प्रेरकों की भावना को कलक्टर तक पहुंचाया। इस पर कलक्टर ने उनसे कहा कि शेष रहे लोगों को सम्मान कलक्ट्रेट में दे देंगे। नाराज भामाशाह और प्रेरकों में काफी लोग वो भी थे जो सम्मान लेकर जल्द लौटना चाह रहे थे।
भामाशाह के सम्मान का खर्चा भी नहीं देती सरकार
और तो और सम्मान की कतार में खड़े भामाशाह पर सरकार चवन्नी तक खर्च नहीं कर रही। यहां तक की सम्मान के लिए भी ये भामाशाह ढूंढते हैं। हैरत की बात यह है कि इन तीन सौ तीस भामाशाह-प्रेरकों ने एक करोड़ से अधिक तो स्कूल संवारने में लगा दिए। गौरतलब है कि वर्ष 2019-20 में 45 भामाशाह व 6 प्रेरक, वर्ष 2020-21 में 76 भामाशाह व 18 प्रेरक एवं वर्ष 2021-22 में 161 भामाशाह व 24 प्रेरक को शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देने के लिए सम्मानित किया गया।
फिर हो गया सम्मान
कड़ी मशक्कत के बाद कलक्टर से फोन पर वार्ता के कई दौर हुए। उसके बाद एसडीएम सुनील पंवार समारोह में पहुंचे। उन्होंने भामाशाह और प्रेरकों का अभिनन्दन करते हुए उनकी प्रशंसा की । साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में इसी प्रकार सक्रियता से योगदान देकर देश को सुदृढ करने को कहा।सीडीइओ सुरेन्द्र शेखावत ने समारोह जानकारी देते हुए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस समारोह में 282 भामाशाह तथा 39 प्रेरक उपस्थित हुए, जिन्हेंं शिक्षाश्री तथा शाला प्रेरक सम्मान से सम्मानित किया। इस अवसर पर तहसीलदार नागौर सुश्री दृश्णा, डीइओ मुख्यालय रामनिवास जांगीड़, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नागौर अनिता बागड़ी, एबीइओ नागौर महबूब खोखर, मनीष पारीक मौजूद रहे। संचालन अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी मदन लाल शर्मा ने किया।