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राजस्थान सरकार ने ऊंट पालन पर ध्यान नहीं दिया तो प्रदेश के पर्यटन के साथ ही देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाले ऊंट गायब हो जाएंगे। पर्यटन के साथ देश के सीमावर्ती रेगिस्तानी क्षेत्रों में पेट्रोलिंग के काम आने वाले ऊंटों का पोषण करना अब ऊंट पालकों पर भारी पड़ने लगा है। ऊंट पालकों का कहना है कि जैसलमेर सहित प्रदेश के कई सीमावर्ती जिलों में पर्यटकों से होने वाली आय में ऊंटों का भी प्रमुख रूप से योगदान रहता है। विशेषकर विदेशी सैलानियों के लिए ऊंट की सवारी करना उनका पसंदीदा शौक रहा है।
क्या कहते हैं पशुपालन वैज्ञानिक
बीकानेर कृषि विश्वविद्यालय के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शंकरलाल ने बताया कि ऊंट का राजस्थान की जैविक विविधता में महत्वपूर्ण योगदान है। यह पर्यटन बढ़ाने के साथ ही देश की सुरक्षा में भी अपनी अहम भूमिका निभाता है। इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। ऊंट के जन्म पर पर्याप्त मात्रा में प्रोत्साहन राशि मिले तो बेहतर रहेगा।
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ऊंटों की घटती संख्या चिंता का विषय
ऊंट पालक पालड़ीजोधा नागौर के निंबाराम ने कहा कि राजस्थान में ऊंटों की घटती संख्या चिंता का विषय है। ऊंटों की संख्या कम हुई है। इसका कारण है कि राज्य सरकार ऊंट पालन प्रोत्साहन योजना को लेकर गंभीर नहीं है।
आजीविका का मुख्य साधन हैं ऊंट
ऊंट पालक, जयपुर बने सिंह देवासी ने बताया कि, ऊंट तो हमारी आजीविका का मुख्य साधन हैं। ऊंटनी का दूध भी औषधीपरक होना वैज्ञानिक अनुसंधान में भी प्रमाणित हो चुका है।
पशु मेलों में ऊंटों का अच्छा - खासा होता था व्यापार
ऊंट पालक, जैसलमेर सुमेरसिंह भाटी ने बताया कि पहले पशु मेलों में ऊंटों का अच्छा.खासा व्यापार होता था। ऊंट बेचने व खरीदने के काम में लगभग साल भर का खर्च निकल जाता था।
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Updated on:
27 Jan 2024 11:37 am
Published on:
27 Jan 2024 11:36 am
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