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Nagaur patrika…बोर्ड बैठक को लेकर सभापति-आयुक्त आमने-सामने…VIDEO

नागौर. नगरपरिषद बोर्ड की 20 मई को होने वाली मीटिंग को लेकर सभापति एवं नगरपरिषद आयुक्त आमने-सामने हो गए हैं। सभापति की ओर से की ओर से खुद के हस्ताक्षर से जारी पत्र में इस बैठक को स्थगित कर दिया गया। इस संबंध में नगरपरिषद आयुक्त ने सभापति की ओर से जारी स्थगन पत्र को […]

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नागौर. नगरपरिषद बोर्ड की 20 मई को होने वाली मीटिंग को लेकर सभापति एवं नगरपरिषद आयुक्त आमने-सामने हो गए हैं। सभापति की ओर से की ओर से खुद के हस्ताक्षर से जारी पत्र में इस बैठक को स्थगित कर दिया गया। इस संबंध में नगरपरिषद आयुक्त ने सभापति की ओर से जारी स्थगन पत्र को अवैध बताते हुए कहा है कि अधिनियम 2009 के तहत कोई भी अनुज्ञप्ति या अनुज्ञा या आदेश तब तक वैध तथा विधिमान्य नही होगा जब तक कि उसे मुख्य नगरपालिक अधिकारी या, यथास्थिति, ऐसे अन्य अधिकारी द्वारा इस प्रकार अधिप्रमाणित न कर दिया गया हो। इसलिए बैठक राज्य सरकार के निर्देशानुसार तय समय पर ही होगी। कुल मिलाकर बोर्ड बैठक को लेकर सभापति एवं आयुक्त के बीच स्थिति विकट हो गई है।
सभापति की ओर से पत्र जारी
नगरपरिषद की ओर से आयुक्त रामरतन चौधरी के हस्ताक्षर से गत 12 मई को जारी हुए 20 की बोर्ड बैठक को लेकर एजेण्डा जारी कर दिया गया था। बैठक होने के एक दिन पहले यानि की सोमवार को सभापति की ओर से पत्र जारी कर दिया गया। इस पत्र के मार्फत सभापति मीतू बोथरा कहा कि बोर्ड बैठक में शामिल एजेण्डे में कृषि भूमि, नियमन, राजकीय भूमि नियमन एवं 69 के तहत आवासीय या व्यवसायिक आदि की पत्रावलियों में कौन सी इसमें शामिल की गई है। इसका केाई उल्लेख नहीं है। इन पत्रावलियों को राज्य सरकार की ओर से गठित निकाय स्तरीय में भी नहीं रखा गया। मेरे पास पत्रावलियां आई थी, लेकिन नियम के खिलाफ होने के चलते हस्ताक्षर करने से मना कर दिया गया। गत चार मई को निदेशालय की ओर से जारी आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सभापति के अनुमोदन के बाद ही आयुक्त पट्टे जारी कर सकते हैं। इसमें भृष्टाचार की आशंका जताई गई।
स्थगन पत्र अवैध
जबकि नगरपरिषद आयुक्त का कहना है कि बोर्ड की बैठक को लेकर सभापति की ओर से जारी पत्र अवैध की श्रेणी में आ जाता है। परिषद के लेटर पैड पर बिना उनके हस्ताक्षर के जारी नहीं किया जा सकता है। पूर्व में जारी एक परित्र का हवाला देते हुए कहा कि पहले भी ऐसी स्थितियां प्रदेश में कुछ जगहों पर बनी थी तो इस संबंध में निदेशालय की ओर से विधिक राय लिए जाने के बाद जारी आदेश में स्पष्ट किया गया था कि समस्त के प्रकार के कार्यालय से जारी होने वाले आदेश महापौर, सभापति या अध्यक्ष के आदेश से जारी होने पर वैध नहीं होगा। प्रशासनिक आदेश आयुक्त या अधिशासी अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी होने पर ही वैध माना जाएगा।
बैठक को लेकर स्थिति विकट
सभापति मीतू बोथरा एवं आयुक्त रामरतन चौधरी के परस्पर चल रहे शीतयुद्ध के चलते अब स्थिति विकट होती नजर आने लगी है। अब लोगों की निगाहें मंगलवार को होने वाली बैठक पर लगी हुई है। बैठक होती है या फिर नहीं, इसकी वस्तुस्थिति अब मंगलवार देापहर को सामने आ जाएगी। कुल मिलाकर दोनों के बीच चल रहे विवादित स्थिति के चलते अब शहर के विकास कार्यों के प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।