
- बदलाव की बयार
ग्राउण्ड रिपोर्ट
नागौर. हाल ही सावों की गली में सूने मकान के ताले तोड़कर लाखों की चोरी करने वाले नशेड़ी निकले। तीनों शातिर इससे पहले भी इस तरह की वारदातें कर चुके। पिछले करीब एक साल में चोरी की वारदात में पकड़े गए चालीस फीसदी बदमाश नशे की खुराक का इंतजाम करने के लिए ही इस पेशे में आए।सूत्रों के अनुसार चोरी की वारदातों में तेजी आई है।
नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले की बात करें तो तीन-चार दुपहिया वाहन रोजाना चोरी हो रहे हैं। और तो और मकान से आभूषण के साथ नकदी चुराने की बात तो छोड़ो, घरों से नल/टूंटी के अलावा पानी की मोटर/सिलेण्डर तो क्या साइकिल तक चोरी होने लगी है। ऐसी एफआईआर से पुलिस खुद सकते में है। निर्माणाधीन अथवा नए सूने मकान से बिजली के स्विच, पंखे/ट्यूब लाइट तक चोरी की रिपोर्ट पुलिस थानों में दर्ज हो रही है। पिछले दो-ढाई साल से ऐसी वारदात में काफी इजाफा हुआ है।
करीब एक साल पहले नागौर की ही एक कॉलोनी से पीतल से नल/टूंटी चोरी हुए तो एक युवक को पकड़ा गया। वो पड़ोसी निकला, पूछताछ में उसने कबूला कि इस तरह छोटी-मोटी चोरी कर वो नशे की खुराक का जुगाड़ करता है। उसे खुराक के लिए हजार/बारह सौ रुपए रोजाना की जरुरत होती है। ऐसे ही एक मकान में लाखों की चोरी में पकड़े आरोपियों ने कबूला कि पहले वो ऐश के लिए चोरी करते थे, बाद में नशे की लत लग गई, अब इसके लिए चोरी करना उनकी आवश्यकता बन चुका है।
कॅरियर/फ्यूचर सब भुला बैठे...
सूत्रों का कहना है कि सोलह-सत्रह साल के स्कूली बालक अब जर्दा/सिगरेट के नशे से आगे बढ़ गए हैं। जबकि कॉलेज में पढऩे वाले युवक अफीम/डोडा पोस्त ही नहीं एमडी तक लेने लगे हैं। पिछले दिनों पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि एक साल में पकड़ा गया मादक पदार्थ तस्करी के करोड़ों का माल सप्लाई तो होता है, इससे जाहिर है कि नशे की खपत खूब बढ़ रही है। पिछले दिनों पकड़ा गया हिस्ट्रीशीटर तस्कर दिलीप विश्नोई समेत कई मादक पदार्थ के सौदागर ऐसे भी हैं जो छोटी-मोटी वारदातों से तस्करी की राह पर आ गए। पुलिस ने कुछ समय में ऐसे बहुतों को पकड़ा जो पढ़ाई/फ्यूचर को दांव पर लगाकर सिर्फ नशा करते हैं और इसके लिए चोरी।
इनका कहना...
पुलिस ने पिछले एक साल में मादक पदार्थ की बड़ी-बड़ी खेप पकड़ी। बड़े-बड़े तस्कर गिरफ्तार किए। यह सही है कि यूथ नशे के चलते चोरी के साथ आपराधिक वारदात में शामिल हो रहा है जो चिंता का विषय है। परिजन/समाज के साथ सब मिलजुल कर इसे रोकने का प्रयास कर सकते हैं।
-नारायण टोगस, एसपी, नागौर
बीमा क्लेम के साथ क्षतिपूर्ति के अलग से पचास हजार देने के आदेश
नागौर. जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने भारतीय जीवन बीमा निगम को बीमा क्लेम एक माह में देने के आदेश दिए हैं। साथ ही परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति के रूप में पचास हजार तथा परिवाद खर्च के सात हजार रुपए अलग से देने को कहा।
मेड़ता सिटी निवासी कानाराम बोला की ओर से एडवोकेट दिनेश हेड़ा ने परिवाद दाखिल किया। इस परिवाद में बताया कि उसने तीन मई 2021 से जीवन बीमा पॉलिसी जीवन आरोग्य से ले रखी थी। फरवरी 2022 को उसके होंठ में सूजन की समस्या हुई तो उसने उपचार के लिए सम्पर्क किया। बायोप्सी रिपोर्ट के बाद उसने होंठ की सर्जरी कराई। जिसका करीब चार लाख चालीस हजार का भुगतान किया। बाद में क्लेम के लिए उसने बीमा निगम में क्लेम के दस्तावेज पेश किए। इस पर बीमा कम्पनी ने दावा देरी व अन्य कारणों से इसे खारिज कर दिया। आयोग अध्यक्ष दीनदयाल प्रजापत व सदस्य बलवीर खुडख़ुडिय़ा ने बीमा कम्पनी के अधिकारी समेत अन्य के जवाब के बाद फैसला सुनाया। फैसले में कानाराम बोला को क्लेम के चार लाख चालीस हजार रुपए के साथ शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति के पेटे पचास हजार रुपए एक माह के भीतर देने को कहा। साथ ही परिवाद व्यय के सात हजार रुपए देने के भी आदेश दिए। आदेश की पालना एक माह में नहीं होने पर परिवाद पेश करने की तिथि से परिवादी को नौ फीसदी ब्याज देना होगा।
Published on:
11 Nov 2024 08:43 pm
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