नागौर.निजी बस सेवा संचालकों ने निर्धारित मापदंडों को ताक में रखा
नागौर•Sep 13, 2018 / 11:18 am•
Sharad Shukla
Even after the court order the district administration failed …
नागौर. जिले में निजी बस संचालकों ने रोडवेज की यातायात परिवहन सेवा को अव्यवस्थित कर दिया है। यही नहीं, बस स्डैंड के एक से दो किलोमीटर के दायरे में संचालन नहीं किए जाने के कोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद भी जिला प्रशासन की शिथिलता से ऐसे वाहनों के संचालन न केवल धड़ल्ले से हो रहे हैं, बल्कि मार्गों की व्यवस्था को बाधित करने के साथ ही यात्रियों की जिंदगी भी खतरे में डालकर यात्राएं कराई जा रही है। निजी बस संचालकों ने राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की माली हालत बिगाडकऱ रख दी है। संचालन अवधि से रोडवेज के रोजाना की आय 25-30 प्रतिशत प्रभावित हुई है। माह भर में यह आंकड़ा लाखों में पहुंच जाता है। संचालन अवधि से अब तक प्रभावित हुए राजस्व का आंकड़ा करोड़ों में पहुंच गया है। निगम के अधिकारियों का मानना है कि निजी बस सेवा का संचालन निर्धारित मापदंडों के प्रतिकूल किए जाने की वजह से यह स्थिति हुुई है, नहीं तो ऐसा बिलकुल नहीं होता। इस संबंध में परिवहन विभाग से लेकर जिला प्रशासन के मुखिया तक को अवगत कराने के बाद भी स्थिति नहीं सुधरी है। नागौर परिवहन विभाग के क्षेत्र में निजी बस सेवा की डेढ़ सौ से अधिक बसों के संचालन होने से आए दिन राजमार्गों पर न केवल यातायात जाम बना रहता है, बल्कि कानून के पहरेदारों के सामने ही मनमर्जी से जहां-तहां वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। इसकी वजह से रोडवेज के राजस्व में भी अब कमी आने लगी है। इन बसों का संचालन रोडवेज बसों के समानांतर चलने से अब निगम के लिए हालात और ज्यादा खराब होने लगे हंै। निगम के जानकारों के अनुसार निजी बस सेवा का संचालन नागौर, मेड़ता, जायल, डेगाना, रियंाबड़ी, खींवसर, गोटन, कुचामनसिटी, मकराना, डीडवाना, डेगाना में बेखौफ बस स्टैण्डों के निकट ही समानांतर बसों को खड़ी कर किया जाने लगा है। इससे जिले भर में निगम की आय धीरे-धीरे कम होने लगी। अब स्थिति इतनी खराब हो गई है कि निगम के रोजाना के राजस्व पर चार से पांच लाख का कम होने लगा है। इस संबंध में निगम की ओर से परिवहन विभाग एवं जिला प्रशासन के मुखिया से संपर्क कर समस्या के निराकरण का प्रयास किया गया।
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के अधिकारियों के अनुसार निजी बस सेवा उनके मुख्य बस स्टैंड एवं बुकिंग विंडो के आसपास से किया जाता है। जहां पर निगम की बसें यात्रियों के लिए खड़ी होती है, वहीं पर निजी बस सेवा की बसें भी खड़ी कर दी जाती है। कई बार निगम की बसों पर बैठे हुए यात्रियों को भी लोक परिवहन सेवा के चालक अपनी बसों में ले जाकर बैठा देते हैं। इसको लेकर आए दिन निगम एवं लोक परिवहन बस सेवा के चालकों के बीच रार भी होती रहती है।
समानांतर चलती निजी बस सेवा
नाागौर आगार से करीब 94 बसों का संचालन किया जाता है। इनमें औसतन अनुबंधित बस सेवा को निकाल दिए जाने पर निगम की स्थिति निजी बसों की संख्या के अनुपात में एक तिहाई के बराबर ही रह जाती है। नागौर से अजमेर, जोधपुर, गुजरात, जयपुर सहित कई बड़े शहरों में रोडवेज बस सेवा के रूट पर इससे तीन गुना ज्यादा बसों का संचालन किया जा रहा है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि निजी बस सेवा का संचालन निगम के रूटों पर ही किए जाने से स्थिति बिगड़ी है। जबकि निजी बस सेवा का संचालन निर्धारित मापदंडों के प्रतिकूल रोडवेज के समानांतर रूटों पर किया जा रहा है।
आंकड़ों पर नजर
निजी सेवा बसों की संख्या-900 से भी ज्यादा
निगम के बसों की संख्या-94 (अनुबंधित सहित)
एक साल में निजी बस सेवा संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की स्थिति 20 प्रतिशत भी नहीं
निगम बस सेवा का प्रतिदिन का प्रभावित राजस्व-4-5 लाख
निगम का प्रतिदिन का राजस्व औसतन-11 लाख लगभग
विशेष-निगम के मुख्य बस स्टैंड एवं बुकिंग विंडों के आसपास से निजी सेवा की ओर से सवारियां बैठाना।
मूण्डवा चौराहा से बस स्टैंड तक यह रहते हालात
निगम के अधिकारियों के अनुसार जिले भर में निजी बस संचालकों की मनमनर्जी के कारण आए दिन यातायात व्यवस्था में भी प्रतिकूल स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। केन्द्रीय बस स्टैंड के पास ही स्थित मूण्डवा चौराहा से लेकर विजय वल्लभ चौराहा तक खड़े होने वाली निजी बसों की संख्या तीन दर्जन से ज्यादा रहती है। प्रति घंटे करीब दर्जन भर बसें निजी सेवा की यात्रियों को लेकर गंतव्य तक रवाना होती है। इसी से बिगड़ी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। बुधवार को भी निजी बस संचालकों एवं अन्य सवारी वाहनों के कारण विजय वल्लभ चौराहे पर दोपहर में जाम लगा रहा। इससे न केवल यातायात बाधित हुआ, बल्कि रोडवेज की बसों को भी निकलने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
&निजी बस सेवा न केवल रोडवेज के बसों के समानांतर चलती है, बल्कि इसके संचालन से प्रतिदिन 25-30 प्रतिशत का राजस्व प्रभावित होने लगा है।
गणेश शर्मा, मुख्य प्रबन्धक नागौर आगार