नियमों में शिथिलता, अब आसानी से करवा सकेंगे- गोशालाओं का 1960 एक्ट में रजिस्ट्रेशन करवाने पर ही मिलते हैं सारे लाभ- नागौर में है प्रदेश की सबसे अधिक गोशाला
नागौर. राजस्थान गोशाला अधिनियम, 1960 के अंतर्गत प्रदेश की क्रियाशील गोशालाओं के पंजीयन के लिए राजस्थान सरकार के निदेशालय गोपालन की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों में बदलाव किया गया है, ताकि अधिक से अधिक गोशालाओं का पंजीयन 1960 के एक्ट के तहत हो सके। पहले जहां 100 गोवंश के लिए कम से कम एक हैक्टेयर भूमि का होना अनिवार्य था, वहां अब 0.3400 (2.0400 बीघा) जमीन होने पर ही पंजीकरण किया जा सकेगा।
विभागीय अधिकारियों के अनुसार नए नियमों के तहत गोशाला पंजीयन में आवास, ऑफिस एवं अन्य व्यवस्थाओं के लिए एक हजार स्क्वायर मीटर भूमि का होना आवश्यक है, जो प्रत्येक गोशाला के पंजीयन के लिए अनिवार्य होगा। इसके साथ प्रति गोवंश, गोवंश के खड़े रहने एवं बैठने के लिए 12 स्क्वायर मीटर एवं प्रति गोवंश खुली जगह 12 स्क्वायर मीटर, इस प्रकार प्रति गोवंश 24 स्क्वायर मीटर भूमि होना आवश्यक है।
नागौर में 30 फीसदी भी पंजीकृत नहीं
गौरतलब है कि नागौर जिले में प्रदेश की सबसे अधिक 685 गोशालाएं संचालित हैं, जिन्हें सरकार की ओर से वर्तमान में 9 महीने का अनुदान भी दिया जा रहा है, लेकिन राजस्थान गोशाला अधिनियम 1960 में पंजीकरण 30 फीसदी का भी नहीं है। अधिनियम 1960 में पंजीकरण होने के बाद गोशाला को विभागीय योजनाओं का लाभ मिल पाता हैं। खासकर सरकार से भूमि आवंटन इस एक्ट में पंजीकृत होने के बाद ही किया जाता है।
इसलिए जरूरी है 1960 एक्ट में रजिस्ट्रेशन
पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार अधिनियम 1958 के तहत रजिस्ट्रेशन करने का काम सहकारी समितियां कार्यालय की ओर से किया जाता है, जिसका अर्थ है गोशाला एक सोसायटी बनी गई, जिसे अनुदान तो मिल सकता है, लेकिन भूमि आवंटन के साथ अन्य लाभ नहीं मिलते। गोशाला रजिस्ट्रेशन 1960 के तहत रजिस्ट्रेशन कराने पर सोसायटी गोशाला के रूप में पंजीकृत होती है और उसे विभागीय योजनाओं का लाभ मिल पाता है।
पत्रिका नॉलेज - जानिए क्या-क्या चाहिए
गोशाला रजिस्ट्रेशन 1960 के तहत ऑनलाइन आवेदन करते समय आवेदक को जो-जो दस्तावेज अपलोड करने होते हैं, उनमें रजिस्टे्रशन सर्टिफिकेट 1958, मनोनयन प्रमाण पत्र, संस्थान की नियमावली, गोशाला कार्यकारिणी समिति के दस्तावेज, गोशाला भूमि सम्बन्धित दस्तावेज, गोशाला निर्धारित भूमि से संचालित होने का प्रमाण पत्र, गोशाला का नजरी नक्शा, गोशाला के फोटो, निरस्त चेक की कॉपी, ऑडिट रिपोर्ट, गोशाला का टेग रजिस्टर आदि शामिल हैं।
नियमों में संशोधन से पंजीकरण कराना आसान
गोपालन विभाग ने गोशाला अधिनियम 1960 के तहत गोशाला को पंजीकरण कराने के लिए नियमों में संशोधन करते हुए शिथिलता दी है, जिसके चलते अब पंजीकरण कराना आसान है। गोशाला संचालकों को इसका लाभ उठाते हुए पंजीकरण कराना चाहिए, ताकि विभागीय योजनाओं का लाभ उठा सकें।
- डॉ. मूलाराम जांगू, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग, नागौर