
रोगी-तीमारदारों के भोजन में गंदगी का ‘तडक़ा’
नागौर. जिला मुख्यालय के राजकीय जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय की भोजनशाला जिस भवन में संचालित हो रही है, उस परिसर से सटे खाली भूखण्ड पर बिखरी इंजेक्शन की शीशियां, खून से सनी पट्टियां एवं इस्तेमाल की गए दवाओं के खाली रेपर अस्पताल प्रबंधन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की तस्वीर उजागर कर रहे हैं। भोजनशाला से भोजन सीधा मरीजों व तीमारदारों के पास पहुंचता है। भोजनशाला के पास ही अस्पताल का बायावेस्ट फेंका जाता है। अब ऐसे में भोजन के संक्रमित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। जबकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रावधान के अनुसार बायोवेस्ट को खुली हवा में नहीं फेंका जा सकता है। अब इससे रोगी ठीक होंगे या फिर संक्रमित इसका अंदाजा खुद अस्पताल प्रशासन लगा सकता है। जिला मुख्यालय के इस बड़े अस्पताल में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से मरीज इलाज की आस लिए पहुंचते हैं, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण खुद अस्पताल प्रशासन मरीजों व तिमारदारों को संक्रमण परोसने में लगा हुआ है।
पत्रिका ने गुरुवार को अस्पताल में बायोवेस्ट निस्तारण व्यवस्था की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले नजारे सामने आए। भोजनशाला परिसर के बगल में सामान्य वार्डों के ठीक सामने स्थित खुले मैदान में बायोवेस्ट का पूरा जखीरा पड़ा मिला। पीएमओ कार्यालय से सटे परिसर में पालीथिन, खून से सनी पट्टियां और दवाओं के रैपर के साथ खाली इंजेक्शन की शीशियां एवं सीरिंज के बड़े-बड़े पैकेट फेंके हुए थे। इस दौरान वातावरण में खतरनाक वायरस के साथ फैली दुर्गन्ध के कारण गुजरना भी मुश्किल हो रहा था। बगल में भोजनशाला चल रही थी। यहां पर खाना बनाया जा रहा था। भोजनशाला परिसर में प्रवेश करने पर यहां भी फेके गए बायोवेस्ट की दुर्गन्ध पूरे माहौल में घुली हुई थी। यहां पांच मिनट भी ठहरना मुश्किल हो रहा था।
जुर्माना व सजा का डर नहीं...करेंगे कार्रवाई
इस संबंध में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, किशनगढ़ जोन के क्षेत्रीय अधिकारी संजय कोठारी ने बताया कि बायोवेस्ट को खुले में रखना तो दूर फेकना भी प्रावधानों का उल्लंघन है। जांच होने पर संबंधित जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रावधान है। इस संबंध में विभाग की ओर से पहले भी सीएमएचओ एवं पीएमओ को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं। इसके बाद भी कई जगहों पर विभागीय लापरवाही के कारण रोगी ठीक होने की जगह उलटा संक्रमित होने लगे हैं। इस मामले में लापरवाही बरतने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
करेंगे जांच
बायोवेस्ट के वैज्ञानिक ढांचे में निस्तारण के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं। इसके बाद भी लापरवाही बरतने की जांच की जाएगी।
डॉ. सुकुमार कश्यप, सीएमएचओ, नागौर
Published on:
02 Nov 2018 04:53 pm
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