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शादी का झांसा देकर ले गया और बैठा दिया कपड़ों की दुकान पर नौकरी करने

- युवती/विवाहिताएं घर छोडऩे में सबसे आगे, झूठे प्रेम/प्यार के मामले में बलात्कार/अश्लील वीडियो सहित अन्य अपराध बढ़ा -एक युवती को अगवा कर दो महीने से अधिक रखा जयपुर, एक महीने तक कपड़े की दुकान पर कराई नौकरी, शादी का झांसा देने वाला युवक फरार -कुछ दिन पहले ससुराल से पीहर आई विवाहिता आभूषण और पैसे लेकर युवक के साथ फरार, परिजनों ने बेटी के खिलाफ दी थाने में रिपोर्ट

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झांसा देकर शादी करने का लालच देकर पहले तो शादीशुदा प्रेमी उसे भगाकर जयपुर ले गया

दो माह पूर्व प्रेमी के साथ भागी विवाहिता। दस्तयाबी के बाद पहले तो मर्जी से जाने की बात कही, उसके बाद अश्लील फोटो वायरल कर बलात्कार का मामला दर्ज कराया।



केस-1

शादीशुदा युवक के साथ युवती फरार। करीब सवा दो महीने बाद जयपुर में दस्तयाब। युवती ने करा दिया अपहरण-बलात्कार का मामला दर्ज।

केस-2

करीब नौ महीने पहले शादी की। पिछले हफ्ते पीहर आकर जेवरात व 75 हजार रुपए लेकर प्रेमी के संग फरार। परिजनों ने बेटी के खिलाफ लिखाई रिपोर्ट।

केस-3

दो माह पूर्व प्रेमी के साथ भागी विवाहिता। दस्तयाबी के बाद पहले तो मर्जी से जाने की बात कही, उसके बाद अश्लील फोटो वायरल कर बलात्कार का मामला दर्ज कराया।

नागौर. झांसा देकर शादी करने का लालच देकर पहले तो शादीशुदा प्रेमी उसे भगाकर जयपुर ले गया। कुछ दिन साथ रखकर उसे कपड़े की दुकान पर नौकरी दिला दी। महीने भर सुबह आठ से रात नौ बजे तक नौकरी करने वाली इस युवती ने जब शादी का दबाव डाला तो युवक भाग छूटा। अब युवती ने थाने में उसके खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट सौंप दी। प्रेम-प्रसंग का यह पहला मामला नहीं जिसमें धोखा दिया या खाया। पुलिस के समक्ष ऐसे काफी मामले आए जिनमें कभी युवती/विवाहिता ने ठगा तो कभी पुरुष/युवक दगा देकर भाग गए।

सूत्रों के अनुसार प्रेम/प्यार के नाम पर परिजन तो ठगे जा ही रहे, जिन पर भरोसा कर युवक/युवती घर छोड़ रही, पचास फीसदी मामलों में वो भी सफल नहीं हो पा रहे। महिला थाने में या फिर अदालत में कई ऐसे विवाहित जोड़े चक्कर काट रहे जिन्होंने साथ मरने-जीने की कसम खाकर घर वालों को छोड़ दिया था। सामाजिक रूप से भी देखा जाए तो एक अनुमान के मुताबिक महज बीस फीसदी प्रेम विवाह/लिव इन रिलेशन सफल हो पा रहे। इसी नए साल की शुरुआत में पीहर पक्ष ने अपनी विवाहिता बेटी के खिलाफ सोने-चांदी के आभूषण के साथ 75 हजार रुपए ले जाने की रपट थाने में दर्ज कराई। रपट में यह भी कहा गया कि उनकी बेटी का विवाह आठ-नौ महीने पहले ही हुआ था। 31 दिसम्बर को बेटी पीहर आई और दो दिन रहकर सारे आभूषण और घर में रखे 75 हजार रुपए लेकर किसी युवक के साथ भाग गई। यह रिपोर्ट इसलिए भी गंभीर मानी जा रही कि युवक पर विवाहिता को बेचने की आशंका भी जताई गई। आठ-नौ महीने पहले बेटी के हाथ पीले कर माता-पिता कितने खुश थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनकी बेटी ही उन्हें धोखा दे जाएगी।

जानकार सूत्रों के अनुसार नागौर जिले में गुमशुदा/घर से भागने वाली युवती/विवाहिताओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ। और तो और नाबालिग बालिकाएं भी घर छोडऩे में युवक/बालक ही नहीं पुरुषों तक से आगे हैं। युवती/विवाहिताओं की दस्तयाबी के बाद अदालत तक में मर्जी पूछकर उन्हें स्वतंत्र रहने की आजादी दे दी जाती है, लेकिन नाबालिग बालिकाएं तक अदालत में माता-पिता के साथ जाने से मना कर बालिका गृह जाना पसंद कर रही हैं। हाईकोर्ट में बढ़ रही बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं इसे सच करने के लिए काफी हैं।

आत्महत्या के लिए विवश तो कोई झेल रहा दु:ख

सूत्रों के अनुसार प्रेम-प्यार के चक्कर में 7 जनों ने गए साल में आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले दर्ज भी हुए, लेकिन कुछ खास नतीजे नहीं निकले। बताया जाता है कि इसी झूठे प्रेम-प्यार के चलते जब असलियत खुलती है या धोखा मिलता है तो युवक हो या युवती आत्महत्या तक कर लेते हैं।

आठ साल में करीब तीन हजार पार

नागौर (डीडवाना-कुचामन) जिले में करीब सात साल में घर छोडऩे वाली युवती/विवाहिताओं की संख्या तीन हजार पार रहीं। आठारह साल से अधिक उम्र की युवती/विवाहिताओं की संख्या वर्ष 2016 में 178 थी, वर्ष 2017 में 244, वर्ष 2018 में 369, वर्ष 2019 में 387, वर्ष 2020 में 357, वर्ष 2021 में 484 तो वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 605 था जो वर्ष 2023 में सात सौ से अधिक रहा। इस तरह सात साल में 3324 युवती/विवाहिता ने घर छोड़ा, इनमें से 2834 को दस्तयाब किया गया। इनमें सिर्फ तीस-पैंतीस फीसदी ने अपने पुराने घर जाने पर रजामंदी दिखाई बाकी ने जिसके लिए घर छोड़ा, उसका ही साथ चुना।

सत्तर फीसदी मना करते घर जाने को

लिव इन रिलेशन समेत बालिग होने पर मिले स्वतंत्रतापूर्वक रहने के अधिकार की बात करें या बदलाव के दौर की, भारी मुसीबत परिजनों की ही हो रही। दस्तयाबी के बाद करीब सत्तर फीसदी युवती/विवाहिता अपने घर/ससुराल जाने से मना कर रही। परिजन उनकी गुमशुदगी दर्ज कराते हैं, दस्तयाबी में पुलिस का रवैया दिखता है तो दबाव बनाते हैं। पुलिस दस्तयाब करके ला भी रही है तो भी अधिकांश परिजन खाली हाथ हैं। छह-सात साल में इच्छा से घर/ससुराल छोड़कर जिंदगी जीने का तरीका अपनाने वाली इन युवती/विवाहिताओं की संख्या में चार गुना इजाफा हुआ है।

इनका कहना

गुमशुदगी के कई मामलों में धोखा/फरेब सामने आता है। बेहतर भविष्य के लिए घर छोडऩे वाले युवाओं को सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए। पारिवारिक काउंसलिंग भी समय-समय पर होनी जरूरी है।

-बंशीलाल, हैड कांस्टेबल मानव तस्करी विरोधी यूनिट नागौर