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राजस्थान चुनाव 2023: चाचा-भतीजी आमने-सामने, कांग्रेस के बागी ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला, पढ़िए पूरी खबर

Rajasthan Election: नागौर चुनाव के लिहाज से इस बार हॉट सीट बना हुआ है। प्रदेशभर के लोगों की मारवाड़ के ‘जाट लैंड’ पर फैसला आने तक नजर टिक गई है।

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नागौर

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Nupur Sharma

Nov 17, 2023

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नागेश शर्मा
Rajasthan Assembly Election 2023 : नागौर चुनाव के लिहाज से इस बार हॉट सीट बना हुआ है। प्रदेशभर के लोगों की मारवाड़ के ‘जाट लैंड’ पर फैसला आने तक नजर टिक गई है। यहां भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आई पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने उनके रिश्ते में चाचा पूर्व मंत्री हरेन्द्र मिर्धा को सामने खड़ा किया है। मिर्धा परिवार का मारवाड़ में शुरुआती दौर से ही राजनीति में खासा दबदबा होने से एक ही परिवार के दो जनों की आमने-सामने की इस टक्कर से चुनाव दिलचस्प होता दिख रहा है। रही कसर कांग्रेस से टिकट कटने के बाद बागी होकर पूर्व मंत्री हबीबुर्रहमान अशरफी लांबा ने मैदान में डटे रहकर पूरी कर दी है। अब यहां मुकाबला त्रिकोणीय बनता हुआ दिख रहा है। भाजपा आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री की नागौर में सभा की तैयारी में जुटी हुई दिख रही हैं। कांग्रेस अभी बड़े नेता की सभा तय नहीं कर पाई है, हालांकि अशोक गहलोत और सचिन पायलट जिले में सभाएं कर चुके हैं।

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क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे
गांवों में पीने के लिए नहर का पर्याप्त मीठा पानी मिले
शहर के बीच चिकित्सालय खुले
सीवरेज लाइनों को ठीक किया जाए
नागौर विकास प्राधिकरण की स्थापना हों

प्रत्याशी कर रहे ये वादे
नागौर को विकास के क्षेत्र में आगे लाया जाएगा
गांवों में पीने के लिए नहरी पानी पहुंचाया जाएगा
नागौर में चिकित्सा सुविधाओं को और अधिक बेहतर किया जाएगा
बजट का विकास में पूरा उपयोग किया जाएगा

स्थानीय भाषा को तरजीह, बढ़ा रहे मेलजोल
नागौर में स्थानीय भाषा को बड़ी तरजीह है। यही कारण है कि दोनों ही दलों के प्रत्याशी लोगों से मिलने के दौरान या फिर सभाओं में मारवाड़ी में भाषण देना अधिक पसंद कर रहे हैं। लोगों को भी नेताओं का भाषण मारवाड़ी में सुनना अधिक रास आ रहा है। प्रचार में अब धीरे-धीरे सोशल मीडिया का भी उपयोग किया जा रहा है।

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मतदाता भांप रहे हवा का ‘रुख’
दोनों दल अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पाए हैं कि सरकार बनी तो वे नागौर के लिए क्या करेंगे। नागौर को विकास में आगे लाने के लिए कई जरूरतें हैं। पर्यटन के क्षेत्र में नागौर आगे बढ़ना चाहिए, जो किसी का मुद्दा नहीं।- सोहनसिंह राठी, स्थानीय निवासी

नागौरी नस्ल ने नागौर को देशभर में पहचान दी है, आज अपनी पहचान को तरस रहा है। यही कारण है कि नागौर में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि किसका पलड़ा भारी है। मुद्दों पर चुनाव लड़ना होगा, तब लोग मुट्ठी खोलेंगे।- इनायत हुसैन, स्थानीय निवासी

कई समस्याओं से जूझ रहा नागौर
नागौर का जो विकास होना चाहिए था वह नहीं हुआ। आज भी कई समस्याओं से नागौर जूझ रहा है। दोनों दलों ने नागौर के लिए कुछ खास नहीं किया है। जातिवाद की राजनीति हावी है। - मोहनलाल वर्मा, स्थानीय निवासी