बैठक में चर्चा हुई कि मंदिर के परिसर में फर्श पर जो पत्थर लगाया गया है। उसकी गुणवत्ता सही नहीं है, इसलिए मजबूती के लिए संगमरमर लगाया जाना चाहिए। इसके लिए मकराना की दो फर्म से कोटेशन मांगे गए हैं।
नागौर के मकराना में निकलने वाला सफेद संगमरमर पत्थर बढ़ती उम्र के साथ चमकदार होने लगता है।
समिति की बैठक में बताया गया कि करीब 200 श्रमिकों की कमी के चलते निर्माण कार्य में गति नहीं आ पा रही। इससे पूरे मंदिर परिसर का निर्माण कार्य तीन माह विलंब से पूरा होगा। पहले यह समय सीमा जून 2025 तय की गई थी। लेकिन अब इसके सितंबर 2025 तक पूरा होने की संभावना है।
मंदिर में गर्भ गृह, शिखर तथा अन्य स्थानों पर पहले भी मकराना मार्बल लगाया गया है। कैल्सियम कार्बोनेट बेस वाला मकराना मार्बल चमकदार होने के अलावा अपेक्षाकृत ठंडा रहता है।
रामलला करेंगे गुनगुने पानी से स्नान
रामलला मंदिर के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि 20 नवंबर (मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी) से रामलला की सर्दी की दिनचर्या शुरू होगी। प्रभु रामलला को गुनगुने जल से स्नान कराया जाएगा, गर्म तासीर वाली वस्तुओं का भोग लगेगा और गर्म वस्त्र पहनाए जाएंगे।
800 करोड़ रुपए का परकोटा
समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने समीक्षा बैठक के बाद कहा कि मंदिर के परकोटे के निर्माण में करीब 800 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है। परकोटे में मंदिर से दोगुना पत्थर लगेगा। परकोटे के लिए राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से 8.5 लाख क्यूबिक फीट पत्थर अयोध्या पहुंच गए हैं।