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आंतरिक कषायों को जीतना ही होती है वास्तविक वीरता, भगवान महावीर के मार्ग पर चलने का संकल्प

लाडनूं. भगवान महावीर जयंती समारोह

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Jain Visva-Bharati University

लाडनूं. भगवान महावीर जयंती समारोह का आयोजन यहां जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग तथा प्राकृत व संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। दो चरणों में हुए इस समारोह में प्रथम चरण में विद्यार्थियों ने अपने पत्रों का वाचन प्रस्तुत किया और दूसरे चरण में विभिन्न विभागों के शिक्षकों ने भगवान महावीर के विभिन्न आयामों पर अपने विचार व्यक्त किए। समारोह के प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी और द्वितीय सत्र की अध्यक्षता प्रो. दामोदर शास्त्री ने की। प्रो. त्रिपाठी ने महावीर के जीवन की घटनाओं के बारे में विवरण प्रस्तुत करते हुए उनके बाल्यकाल से ही सिद्धांत प्रियता के बारे में बताया तथा उनके विचारों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पुरूषार्थ के बल पर स्वयं को उन्नत बनाया जा सकता है। भगवान महावीर के मार्ग पर चलने का संकल्प लेने की आवश्यकता बताई। प्रो. शास्त्री ने महावीर शब्द की सार्थकता बताते हुए आंतरिक कषायों को जीतने को ही वीरता बताया तथा कहा कि आधि-व्याधि एवं रोग-क्लेश से मुक्ति पाने के लिए आंतरिक दुश्मनों का शमन करने की आवश्यकता है। प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने महावीर के तीन अकार- अहिंसा, अनेकांत व अपरिग्रह के बारे में बताते हुए उन्हें समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि जीवन में इन तीनों को अंगीकार करने से जीवन धन्य हो सकता है।

अहिंसा व अनेकांत से संभव है समस्याओं का समाधान

प्रो. समणी सत्यप्रज्ञा ने अहिंसा व अनेकांत को व्यावहारिक जीवन में उतारे जाने के सम्बंध में सुझाव दिए तथा परमाणु, पर्यावरण व तकनीक के सम्बंध में बढते खतरों से आगाह करते हुए उनमें अहिंसा व अनेकांत से समाधान के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि समझ के विकसित होने पर ही अहिंसा का उपयोग संभव होता है। समारोह में प्रो. जिनेन्द्र कुमार जैन, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डा. हेमलता जोशी, श्वेता खटेड़ आदि ने आगमों के सम्पादन, महावीर की साधना के विभिन्न पहलुओं, महावीर के अर्थशास्त्री आदि विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। विद्यार्थियों में मुमुक्षु चंदना, मुमुक्षु साधना, मुमुक्षु रश्मि, आकर्ष जैन, माया कंवर शेखावत, दीपांशी चितलांगिया, रमा कंवर, प्रिया शर्मा, रतन कंवर, कंचन, खुशी जोधा, कांता स्वामी ने महावीर के विविध आयामों पर अपने-अपने पत्र-वाचन किए। प्रारम्भ में मीनाक्षी भंसाली व डा. मनीषा जैन ने मंगलाचरण