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दिहाड़ी पर निकले थे पर कुछ पल में टूट गए सपने, बिखर गई रोटी

-दर्द के साथ आंसू, मदद करने वालों की भीड़ उमड़ी -अमरपुरा सरहद पर बस व ट्रोला के बीच भिड़ंत नागौर. रोजाना की तरह घर से चले थे अपनी-अपनी दिहाड़ी के लिए। किसी के साथ दोपहर के खाने का टिफन था तो किसी की थैली में अखबार से लिपटी रोटियां, प्याज के साथ अचार। जिंदगी चलाने के लिए वे रोजाना ऐसे ही सफर पर निकलते थे, लेकिन रविवार को उन्हें क्या मालूम था कि कुछ पलों बाद होने वाला हादसा कुछ की जान ले लेगा तो कुछ की जान मुश्किल में डाल देगा।

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दर्द की कराह

चंद पल में सबकुछ बिखर गया। अजीब सा मंजर था, सड़क पर बिखरा खून, लहूलुहान लोग तो उन्हें संभालने को भी एक बड़ा हुजूम भी, इनमें कुछ सरकारी तो कुछ राहगीर। दर्द की कराह के साथ आंखों से टपकते आंसू, कई तो कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे।

चंद पल में सबकुछ बिखर गया। अजीब सा मंजर था, सड़क पर बिखरा खून, लहूलुहान लोग तो उन्हें संभालने को भी एक बड़ा हुजूम भी, इनमें कुछ सरकारी तो कुछ राहगीर। दर्द की कराह के साथ आंखों से टपकते आंसू, कई तो कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे। कुछ थे जो जान बचने के लिए भगवान का शुक्रिया अदा कर रहे थे तो कुछ सूनी आंखों से ताक रहे थे अपने ही जैसे अन्य घायलों को, जो सफर में साथ ही बैठे थे। दिहाड़ी पर निकले थे, हादसे के बाद दहाड़े मार-मारकर रोते रहे।

राष्ट्रीय राजमार्ग-58 पर अमरपुरा सरहद के पास हुई बस व ट्रोला भिड़न्त के बाद जेएलएन अस्पताल में यही सब कुछ दिखा। इस हादसे में मांगीलाल वाल्मीकि (40), रमजान रंगरेज (22), मोहम्मद हुसैन (39) और सहदेव लोहार (40)निवासी सुरपालिया की मौत हो गई, जबकि करीब 15 लोग घायल हो गए। रोते-बिलखते अपनों से मिलने की बदनसीबी लिए सैकड़ों लोग पहुंच चुके थे। तलाश रहे थे अपनों को, संभालते ही रो रहे थे। जाहिदा नाम की महिला रो रही थी, उसे अपना पति घायलों में दिख ही नहीं रहा था। बदहवास सी पूछ रही थी कि उनको देखा क्या? कहां भर्ती हैं, उनसे मिलाओ। एक बेचैनी थी, अपनों के बचने की, उससे मिलने की। जेएलएन अस्पताल की इमरजेंसी में जब घायलों को लाया गया तो वहां जगह ही नहीं बची। जैसे-तैसे उन्हें वार्डों में शिफ्ट किया गया। जहां उपचार के लिए इंतजार के साथ लोगों की मनुहार करते-करते उनकी आंखों से आंसू निकलना वाकई अन्य लोगों को भी पीड़ा दे रहा था।

दिहाड़ी मजदूर थे ज्यादातर, चूरू के लालगढ़ से रोज आती है बस

एएसआई महावीर सिंह ने बताया कि असल में यह बस चूरू के लालगढ़ से नागौर के लिए चलती है। बस जानेवा, खेराट, डेह से नागौर पहुंचती है। इसी रूट के मजदूरी-दिहाड़ी करने वाले अधिकांश लोग इस बस में बैठते हैं। रविवार को भी हमेशा की तरह कमठे/दिहाड़ी के लिए इस बस पर बैठे थे। अमरपुरा सरहद पर ट्रोले और बस में भिड़ंत हो गई।

मदद के लिए उमड़े लोग

हादसे के बाद घटनास्थल पर पहुंचे सदर सीआई सुखराम चोटिया, कोतवाली सीआई रमेंद्र सिंह हाड़ा समेत अन्य पुलिसकर्मियों ने घायलों को उठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। एम्बुलेंस हड़ताल पर थीं तो निजी वाहन/पिकअप आदि में डालकर उन्हें जेएलएन अस्पताल लाया गया। थोड़ी देर बाद जिला कलक्टर डॉ अमित यादव, एएसपी सुमित कुमार व नागौर सीओ ओमप्रकाश गोदारा आदि भी वहां पहुंचे। यहां पीएमओ डॉ महेश पंवार समेत अन्य डॉक्टरों को घायलों का तुरंत उपचार शुरू करने के निर्देश भी दिए।

खून देने वालों का हुजूम, संभालने वाले भी बहुत

हादसे का संदेश मोबाइल के जरिए वायरल हुआ तो देखते-देखते ही वहां भीड़ जमा हो गई। खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल, उप सभापति सदाकत सुलेमानी, हनुमान बांगड़ा, लोकेश टाक समेत कई लोग घायलों को संभालने पहुंचे। इसके अलावा शहर से युवा आए और घायलों के अलावा चिकित्सकों के साथ नर्सिंगकर्मी से कहते रहे, हमारा खून ले लो, किसी घायल को चाहिए तो बता देना। ना किसी को धर्म से मतलब था ना ही कोई फायदे के लिए यहां पहुंचा था। हर कोई इंसान बनकर मदद करने की सोच यहां पहुंचा था। हादसे के अलावा अन्य पहले से भर्ती मरीज ही नहीं उनके परिजन तक घायलों की तीमारदारी करते दिखे। हर तरफ सहयोग का जज्बा था, महिला-पुरुष ही नहीं अस्पताल में मौजूद बच्चे-बच्चे तक इन दर्दवालों के हाल-चाल पूछ रहे थे।