सूत्रों के अनुसार राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर की ओर से जिला बाल पीडि़त प्रतिकर सहायता समिति बनाई है। पूरे राज्य में वर्ष 2019 से 2022 तक की एफआईआर दर्ज कराने वाली 12 हजार 454 पीडि़ताओं को प्रतिकर सहायता समिति से लाभ देना तय हुआ है। अकेले नागौर जिले की 611 पीडि़ताएं इसमें शामिल है।
इसमें नागौर में वर्ष 2019 में 130, 2020 में 109, 2021 में 170 व वर्ष 2022 में 202 एफ आईआर दर्ज हुई थीं। प्रतिकर स्कीम का लाभ उन्हीं मामलों में दिया जाएगा, जिनमें चालान पेश हो चुका है।
समिति की पिछले दिनों बैठक भी हुई, जिला विधिक सेवा प्रधिकरण मेड़ता की सचिव तस्नीम खान, एडीएम मोहनलाल खटनावलिया, एएसपी ताराचंद, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मनोज सोनी, मानव तस्करी विरोधी यूनिट के प्रभारी बंशीलाल, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक किशनाराम लोल आदि इसमें शामिल हुए। अब मुश्किल यह सामने आई कि इतनी एफआईआर दर्ज में किसको कितना लाभ दिया जाए, इसकी कोई गाइड लाइन ही तय नहीं हो पाई है।
मुश्किलें भी कम नहीं सूत्रों के अनुसार अभी तक अधिकांश पीडि़ता इस लाभ से वंचित हैं। कई मामलों में समझौता भी हो चुका तो कई अन्य मामलों तक इस जानकारी को पहुंचाने का काम भी कम मुश्किल नहीं है। हालांकि हेल्पलाइन के अलावा अन्य नंबरों से पीडि़त को संपर्क कर सहायता के लिए आवेदन प्रस्तुत करने का मौका तो दिया गया पर हकीकत यह है कि पहले से ही बदनामी का डर और तमाम मुश्किलों के चलते उन्हें इसका पता ही नहीं है। अन्य मद में मिलने वाली सहायता के बारे में तो वे जानती हैं पर इसका उन्हें पता ही नहीं है। ऐसे में एक-एक से सम्पर्क कर उनसे आवेदन करवाना भी कम टेढ़ी खीर नहीं है। पोक्सो पीडि़ता का मेडिकल अथवा अन्य आधार पर प्रतिकर सहायता राशि तय करना भी कम मुश्किल नहीं है। आर्थिक सम्बल सामाजिक पुनर्वास आदि के लिए यह अलग सहायता है। यही नहीं जिला बाल पीडि़त प्रतिकर सहायता समिति ने संबंधित एफ आईआर में प्रत्येक पीडि़त से व्यक्तिगत या फोन पर जानकारी लेने का मानस तो बताया है पर इस पर कार्रवाई करना भी लम्बा काम होगा।
इनका कहना यह सही बात है कि पोक्सो पीडि़ता अथवा उनके परिजनों को प्रतिकर स्कीम की जानकारी नहीं है। बाल कल्याण समिति के माध्यम से हर पीडि़ता से घर-घर जाकर सम्पर्क किया जाएगा, ऐप के जरिए आवेदन आगे भेजा जाएगा।
-मनोज सोनी, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, नागौर।