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गेहलोत की ताजपोशी से जनता में फिर जागी उम्मीद, विकास को लगेगे पंख

गेहलोत के मंत्री बनने के बाद शहरवासी जहां खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वहीं गेहलोत से उनकी अपेक्षा भी बढ़ गई है। करीब एक लाख की आबादी वाले शहर को जिला बनाने की मांग पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से उठ रही है।

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गेहलोत की ताजपोशी से जनता में फिर जागी उम्मीद, विकास को लगेगे पंख

नागदा। गुरूवार का दिन देश के साथ-साथ शहर के लिए भी ऐतिहासिक रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ राज्यसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रिय मंत्री थावरचंद गेहलोत ने भी केबिनेट मंत्री के रूप में दोबारा शपथ ली है। गेहलोत के मंत्री बनने के बाद शहरवासी जहां खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। वहीं गेहलोत से उनकी अपेक्षा भी बढ़ गई है। करीब एक लाख की आबादी वाले शहर को जिला बनाने की मांग पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से उठ रही है। वर्ष 2009 में सबसे पहले नागदा को जिला बनाने का मुद्दा कांग्रेस के तात्कालीन विधायक दिलीप गुर्जर की ओर से उठाया गया था। लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण यह मुद्दा सियासी दाव पेंच में उलझ कर रह गया। हालांकि 2010 में भाजपा बहुमत की नपा परिषद ने भी शहर को जिला बनाने का प्रस्ताव पारित कर तात्कालीन प्रदेश सरकार को भेजा जा चुका है। चूंकि जिले के मुद्दे पर राजनीति स्थिति अनुकुल दिखाई पड़ रही है। नागदा को जिला बनाने का मुद्दा कांग्रेस अभी तक उठाती आई है। क्षेत्र में उसी दल के विधायक है और प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार है। लिहाजा नागदा को जिला बनाने के लिए राज्य शासन की ओर से तो कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए। ओर रही केंद्र सरकार की मंजूरी की बात तो गेहलोत के दोबारा केंद्रीय मंत्री बन जाने से लोगों की उम्मीद है कि शायद आने वाले दिन शहर के लिए अच्छे साबित हो और अगले कुछ सालों में नागदा की पहचान जिले के रूप में हो सकेगी।

गेहलोत से जनता की अपेक्षाएं
शहर का हो विस्तारिकरण
इसी साल होने वाले नगर पालिका चुनाव के पूर्व शहर का परिसीमन होना है। जो शहर विस्तारिकरण के लिए एक अच्छा मौका साबित हो सकता है। नगर पालिका में भी भाजपा की परिषद है लिहाजा शहर से सटे डाबरी, टकरावदा,भगतपुरी,बनबनी, पारदी आदि ग्रमीण क्षेत्रों को नगरीय सीमा में शामिल करने की योजना बनती है तो इससे जहां शहर का विस्तार होगा वहीं इन ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के नए रास्ते खुल जाएगे।

चंबल हो प्रदूषण मुक्त
औद्योगिक प्रदूषण से चबंल को मुक्त करना स्थानीय उद्योगों के कारण चबंल नदी प्रदूषित हो चुकी है। आज भी डाउन स्ट्रीम के 14 गांवो में पीने के पानी का संकट है। वहीं प्रदूषण के कारण किसानों की जमीन बंजर हो चुकी है। वहीं नदी के प्रदूषित पानी पीने से कई गांव के लोग गंभीर बीमारी की चपेट में है। ऐसे चंबल के पानी को प्रदूषण से बचाने के लिए शासन स्तर पर कोई कारगर योजना बनाने की सख्त आवश्यकता है।

मास्टर प्लान लागू होना चाहिए
नागदा शहर का मास्टर प्लान बन कर तैयार है लेकिन इसको धरातल पर उतरना अभी भी बाकी है। गेहलोत को चाहिए कि वह प्रदेश एवं केंद्र सरकार में सामजंस बैठा कर मास्टर प्लान पर जल्द से जल्द काम शुरू करवाए ताकि शहर के विकास को पंख लग सके।

औद्योगिक क्षेत्र का हो विस्तार
शहर के युवाओं को स्थानीय उद्योगों में रोजगार के अवसर मुहैया कराया जाना गेहलोत की पहली प्राथमिका होना चाहिए। कारण स्थानीय स्तर पर केवल तीन ही बड़े उद्योग होने से शहर के युवओं को पलायन कर अन्य प्रांतों में जाकर नौकरी करना पड़ती है। ऐसे में यह उम्मीद जताई जा सकती है, कि शहर में औद्योगिक क्षेत्र का विकास किया जाए।

चिकित्सा सुविधा की खलती है कमी
शहर के सिविल अस्पताल पर समीपस्थ मौजूद ५० गांवों की चिकित्सा का दामोदार है। लेकिन पर्याप्त मात्रा में चिकित्सकों के नहीं होने से मरीजों को उज्जैन जिला मुख्यालय रैफर करना पड़ता है। ऐसे में शहरवासियों को उम्मीदें है, कि शहर में अस्पताल की क्षमता बढ़ाकर नए चिकित्सकों की पदस्थापना की जाए।