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ढाई परिक्रमा पूरी कर माता मावली मेले का हुआ आगाज़, 84 परगना के देवी-देवता हुए शामिल, देखें Video

Mata Mavli fair: नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर अपनी भारी वन संपदा और नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। अपनी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए यहां हर साल ऐतिहासिक मावली मेला भी आयोजित होता है। 800 साल पुरानी यह प्रथा इस साल भी माता मावली मंदिर की ढाई परिक्रमा करने के साथ शुरू हुई।

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माता मावली मेले का हुआ आगाज़

माता मावली मेले का हुआ आगाज़

Mata Mavli fair: नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर (Narayanpur)अपनी भारी वन संपदा और नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। अपनी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए यहां हर साल ऐतिहासिक मावली मेला भी आयोजित होता है। 800 साल पुरानी यह प्रथा इस साल भी माता मावली मंदिर की ढाई परिक्रमा करने के साथ शुरू हुई। यह मेला 19 फरवरी तक चलेगा।

मेले के शुभारंभ के दौरान रस्म अदायगी में देवी-देवता और आंगादेव(Aangadev)के साथ-साथ क्षेत्र के सभी पुजारी भी बड़ी संख्या में माता मावली के परघाव रस्म अदायगी में शामिल हुए और माता मावली का आशीर्वाद लिया।

जानकारी के अनुसार, बस्तर में नारायणपुर मेला(Narayanpur Fair) एक ऐसा उत्सव है जिसमें छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों की कई अलग-अलग झलक देखने को मिलती है। नारायणपुर माता मावली मेला बस्तर के साथ-साथ पूरे छत्तीसगढ़ विश्व प्रसिद्ध मेला माना जाता है। मड़ई में अंचल के आदिवासियों की लोक कला और संस्कृति पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों की झलक देखने को मिलती है। यह मेला संस्कृति और परम्पराओं का हिस्सा है जो सदियों से चलता आ रहा है।


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माता मावली मेला(Mata Mavli fair) में लगभग 84 परगना के देवी देवता शामिल होते हैं, जिसके बाद मावली मंदिर के पास पिपल पेड़ के नीचे नगाड़ों थाप पर अपना शक्ति प्रदर्शन करते है। माता मावली मेला में 84 परगना के पधारे देवी देवता माता मावली मंदिर से आंगा, डोली, छत्र, झंडा आदि लेकर मार्ग में परम्परा और रीति रिवाज से नाच गान, उछल कूद करते हुए पूरे मेला में परिक्रमा करते है। परघाव की रस्म में माता मावली(Mata Mavli) के मंदिर से जुलूस निकालकर बुधवारी बाजार में देवी-देवताओं के मिलन के बाद आड़मावली माता मंदिर के ढाई परिक्रमा की रस्म पूरी की गई। जुलूस के दौरान देवी देवताओ और आंगा देवों का जगह-जगह पर मिलन और नाचने गाने का सिलसिला चलता रहा।

क्यों है मावली मेला का महत्व
नारायणपुर(Narayanpur) का मावली मेला अपनी संस्कृतियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह मावली मेला 800 वर्ष पुरानी मावली परघाव की रस्म के चलते अपनी एक अलग ही पहचान रखता है। इस मेले में यहां की संस्कृति को देखने के लिए देश विदेश के साथ महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के कई जिलो के लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। यह बस्तर के आदिवासियों का सबसे बड़ा मेला है। इस मेले में बस्तर संभाग के सभी क्षेत्रों के आदिवासी समाज के लोग जुटते है। इस मेले में आदिवासियों की संस्कृति देखने को मिलती है। यही वजह है कि इस मेले को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। यह मेला क्षेत्र का सबसे बड़ा लोक उत्सव है।

नक्सली दहशत के चलते रौनक हो रहा गायब
मावली मेला महाशिवरात्रि(Mahashivratri) के पहले बुधवार को आयोजित किया जाता है। इस मेले में देव समिति और जिला प्रशासन अपनी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं। वहीं, मेले के स्वरूप में आए बदलाव और अबूझमाड़ के लोगों का मेले में शामिल न होना, मेले की रौनक को कम कर रहा है। हालांकि, पारम्परिक रीति रिवाज के चलते इस मेले की पहचान आज भी बरकरार है। नगर पालिका के द्वारा मेले में रौनक को बरकरार रखने के लिए व्यवस्थित तरीके से दुकानों का आवंटन किया गया है तथा लाइट और पानी की व्यवस्था की गई है। 800 वर्ष पुराने ऐतिहासिक मावली मेले में केवल रस्म अदायगी और संस्कृति ही बची रह गई है। मेले में जो भीड़ और माहौल आज से 3 दशक पूर्व दिखाई पड़ता था, वो आज नहीं है। जिसके पीछे का वजह नक्सली दहशत है।


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प्रधानमंत्री ने माता मावली मेले का किया जिक्र
माता मावली मेले(Mata Mavli fair) को देश विदेश में ख्याति प्राप्त है। आदिवासी संस्कृति, सभ्यता, परम्परा आज भी मेले में दिखाई पड़ती है। इसी चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम मन की बात में माता मावली मेले का जिक्र किया था। देश के प्रधानमंत्री द्वारा इस मेले का ज़िक्र कर इसकी विशेषताओ के लोगो को रूबरू करवाया था। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि माता मावली मेले किस कदर ख्याति प्राप्त है।

पुलिस ने सुरक्षा किए पुख्ता इंतजाम
नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के चलते किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के सुरक्षा पुख्ता इंतजाम किए है। इसमे माता मावली मेला(Mata Mavli fair) स्थल में अस्थाई चौकी खोली गई है। वही मेला स्थल के अंदर हथियार से लैस जवान पेट्रोलिंग करते रहते है। वही मेला स्थल की ढाई परिक्रमा करने के लिए निकले देवी देवताओं रास्ते मे किसी प्रकार असुविधा न इसको ध्यान में रखकर पुलिस के जवान देवी देवता के सामने चलकर भीड़ को काबू करने की कोशिश करते नजर आ रहे थे। वही मेला स्थल के चारो ओर पुलिस के जवान तैनात होकर अपनी पैनी नजर बनाए हुए थे।