23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नक्सली दशहत से कच्चापाल जलप्रपात की अनदेखी

अबूझमाड़ अपनी संस्कृति को लेकर देश सेे लेकर विदेश में भी खासा चर्चित है। लेकिन आजादी के छह दशक बाद भी सरकार की पहुंच इस क्षेत्र में नही के बराबर बनी हुई है।

2 min read
Google source verification

image

Ajay Shrivastava

Jul 21, 2016

Falls remained unsolved

main problem road

नारायणपुर.
अबूझमाड़ अपनी संस्कृति को लेकर देश सेे लेकर विदेश में भी खासा चर्चित है। लेकिन आजादी के छह दशक बाद भी सरकार की पहुंच इस क्षेत्र में नही के बराबर बनी हुई है। इस क्षेत्र में नक्सली ग्रामीणों को अपना हितैशी बताकर अपनी पैठ मजबूत कर चूकें है। जिसके कारण अबूझमाड़ क्षेत्र में नक्सलियों का एक छत्र राज चलता है।


जहां नक्सली अपनी पाठशाला संचालित कर बच्चों व ग्रामीणों को अपने संगठन से संबंधित गतिविधियों का पाठ पढ़ाते है। जानकारी अनुसार मुख्यालय से 66 किलोमीटर दूर ओरछा ब्लॉक के कच्चापाल ग्राम पंचायत में 376 परिवार निवासरत है। जिसकी जनसंख्या 1015 के करीब है। इस क्षेत्र में सरकार की पहुंच नही के बराबर है।


इस क्षेत्र में निवासरत ग्रामीण सरकार की कई योजना का लाभ पाने से वंचित रह जाते है। इस क्षेत्र के विकास के लिए सड़क मुख्य बाधा बनी हुई है। जहां सड़क के नही होने के कारण ग्रामीणों को पगडंडी वाले रास्ते से पैदल चलकर कर मुख्यालय पहुंचना पड़ता है। घने जंगल वाले अबूझमाड़ के कच्चापाल कुतूल रोड़ पर स्थित उपाल पहाड़ से निकलने वाली नदी में मानसून के दिनों में पानी लबालब होने के कारण इस मौसम में ऐटेकछ़ाड़ जलप्रपात अपने रंग रूप में निखार लाकर पानी की धारा दूध के समान 40 फीट उपर से नीचे गिरती है।


जिसका आकर्षक नजारा देखने लायक होता है। इस जलप्रपात को आदिवासी ग्रामीण ऐटेकछ़ाड़ झरना के नाम से जानते है। आज आवश्यकता इस बात की है इस पहुच विहिन नैसर्गिक प्राकृतिक सौदर्य को सहजने और संवारने के लिए कारगर पहल कर समुचित स्थान को पर्यटन स्थल में जोड़कर अबूझमाड़ के इस मनोहारी जलप्रपात को दर्शनीय स्थल के रूप में विकसीत किया जाना चाहिए। जिससे अबूझमाड़ में छुपे इस जलप्रपात को देश विदेश में ख्याति मिल सकें। इसके बाद आने वाले दिनों में इसका आनंद कोने कोने के लोग उठा सकें।


ऐटेकछ़ाड़ नाम क्यों : अबूझमाड़ के आदिवासी ग्रामीण उपाल पहाड़ से उगम पाने वाली इस धारा को उपाल नदी के नाम से जानते है। अबूझमाड़ के पूर्वजों के अनुसार इस नदी के आसपास वाली जगह में केकड़ा अधिक पाया जाता था। इस कारण इस झरने का नाम पूर्वजों ने ऐटेकछ़ाड़ के नाम से पुकारा जाने लगा है। इसका निर्वहन आज भी युवा पीढ़ी कर रही है। इसके कारण आधूनिक युग में भी बुजुर्ग से लेकर युवा कच्चापाल के जलप्रपात को एटेकछ़ाड़ नाम से जानते है।


कच्चापाल के ग्रामीणों का

कहना है की इस क्षेत्र में आवागमन के लिए सड़क बन जाती है, तो इस जलप्रपात को देखने के लिए देश से लेकर विदेश तक के लोग पहुंचते। बरसात के दिनों में उपाल नदी का पानी इतनी उचाई से गिरता है तो देखने लायक नजारा रहता है। गांव में कभी कोई त्यौहार होता है तो ग्रामीण इस झरना के पास जाकर ही पिकनीक मनाते है। इस झरना को संवारने के लिए कोई पहल की जाती है, तो यह एक पर्यटन के रूप में विकसीत हो सकता है। जहां दूर दराज से लोग इसे देखने के लिए आएंगे। बाहर के लोग इसे देखने के लिए आने से ग्रामीणों को भी रोजगार उपलब्ध हो जाएगा।

ये भी पढ़ें

image