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टुकनी- टोकरी बनी आदिवासीयों के कला की पहचान, बांस में झलक रहा अबूझमाडों का हुनर…

Abujhmadiya Talent's : अबुझमाड़िया समुदाय की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में बांस कला का कोई जवाब नहीं है

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टुकनी- टोकरी बनी आदिवासीयों के कला की पहचान

टुकनी- टोकरी बनी आदिवासीयों के कला की पहचान

नारायणपुर। Abujhmadiya Talent's : अबुझमाड़िया समुदाय की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में बांस कला का कोई जवाब नहीं है। बांस से उपयोगी वस्तुएं बनाकर अपनी आजीविका भी चलाते हैं। बांस से बने विभिन्न वस्तुओं के बीच अबूझमाड़ क्षेत्र में सबसे सामान्य एवं सबसे अधिक प्रयोग मिले जाने वाली वस्तु है ,बांस की टोकरी यह छोटे-बड़े अनेक आकर में बनाई जाती है। अबूझमाड़ के अधिकांश वर्गों में बांस से बनी इन छोटी-बड़ी टोकरियों को बड़ी सजगता से देखा जा सकता है। अबूझमाड़ के आकाबेड़ा ग्राम के रामदेव नुरेटी बताते हैं इसे बांस कि सिखों से बना जाता है।

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बांस से बनाये जाते हैं अनेक वस्तुएं

जब यह छोटे आकार की होती है तो इसे टुकनी कहते हैं। वही बड़े आकार वाली को डोली कहा जाता है। जिसमें धान अथवा अन्य अनाज भर कर रखा जाता है। बांस की टोकरी के अलावा बांस से बनाई जाने वाली अनेक वस्तुएं हैं। जिसे ग्रामीण आदिवासी प्राचीन काल में स्वयं से बनाते चले आ रहे हैं। जैसे बांस से बनी टोकरिया, सुपा, झांपी, कुमनी, डोली, झाप, चेरिया आदि कहते हैं।

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बांस से बनी वस्तुओ को आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध माना गया है। इससे विभिन्न त्योहारों एवं अनुष्ठानों के अलावा रोजमर्रा में भी बांस व मुंज से बने सामानों का बहुतायत में उपयोग किया जाता है। लेकिन आधुनिकता दौर में पौराणिक महत्व की चीजें अब समाप्त होते जा रही है। इनकी जगह प्लास्टिक, स्टील, पीतल के बर्तनों ले ली है। लेकिन अबुझमाड़िया समुदाय बांस की कला को आज भी जीवित रखे हुए है।