
लापरवाही...दशकों से प्रभारियों के भरोसे चल रहे सरकारी स्कूल और कॉलेज
शकील नियाजी/पिपरिया. ब्लॉक के चार सरकारी कॉलेज वर्षों से प्रभारी प्राचार्यो के भरोसे संचालित हो रहे हैं। वहीं शहर का एक मात्र बड़ा शासकीय स्कूल कन्या उमावि का संचालन भी प्रभारी पुरुष प्राचार्य को सौंपा गया है। कॉलेज स्कूल में स्वीकृत स्टॉफ पदस्थ नहीं है। अतिथि विद्वानों पर ही शिक्षा का भार सौंपा गया है। सरकारी संस्थाओं में शिक्षण प्रभावित है, प्रोफेसर और व्याख्याताओं से कॉलेज और स्कूल का मैनेजमेंट चलवाया जा रहा है। प्रभारी ही प्रबंधन का कार्य भी देखते हैं और वक्त मिलने पर पीरियड भी लेते हैं। ब्लॉक का एक मात्र पीजी कॉलेज का प्रभार वर्षों से प्रभारी प्राचार्य के भरोसे है। शासकीय गल्र्स कॉलेज, पचमढ़ी कॉलेज, बनखेड़ी कॉलेज की कमान भी प्रभारियों को सौंपी गई है। सबसे बड़ी विसंगति शहर का कन्या उमावि है यहां प्राचार्य का प्रभार रसायन शास्त्र के प्राध्यापक को सौंपा गया है उन्हें हाल ही में प्रभारी बीईओ का प्रभार भी दे दिया गया। वे मूल विषय का पीरियड समय मिलने पर लेते हैं बाकी समय मैनेजमेंट, संकुल स्कूलों के निरीक्षण में ही व्यस्त रहते हैं। पीजी कॉलेज पिपरिया मे वर्ष २००८ में स्थाई प्राचार्य एचएसपी श्रीवास्तव पदस्थ हुए। उन्होंने वर्ष २०११ तक कॉलेज चलाया। उस दौरान कॉलेज की व्यवस्थाएं, शैक्षणिक स्तर, अनुशासन काफी प्रशंसनीय रहा। उनके स्थानांतरण के बाद फिर प्रभारी प्राचार्य की तैनाती हुई उसके बाद प्रोफेसर अनिल बैस, कामिनी जैन, राजीव माहेश्वरी और वर्तमान में केडब्लू शाह बतौर प्रभारी प्राचार्य यहां पदस्थ हैं। प्रभारी को कमान सौंपने सोर्स लगते हैं लेकिन स्थाई प्राचार्य आए इसकी कोशिश होती आज तक दिखाई नहीं दी। शाह वनस्पति शास्त्र के अनुभवी प्रोफेसर हैं वे पढ़ाई की जगह कॉलेज का प्रबंधन करने मजबूर है। पचमढ़ी कॉलेज का प्रभार अंग्रेजी के प्रोफेसर एस शेखर को दिया गया है वे सन २००० से वर्तमान तक कॉलेज का प्रबंधन देख रहे है। ऐसे में छात्रों को अंग्रेजी की शिक्षा कैसे मिलती होगी यह बड़ा सवाल है। बनखेड़ी कॉलेज पिपरिया कॉलेज में पदस्थ रहे प्रोफेसर आरसी डेहरिया बतौर प्रभारी प्राचार्य का कार्य देख रहे हैं।
1989 में बने गल्र्स कॉलेज में भी प्रभारी
शहर के गल्र्स कॉलेज की स्थापना 1989 में हुई । उस दौरान इसका प्रभार पीजी कॉलेज के पास था उसके बाद कुछ नियुक्ति स्थाई हुई फिर यहां भी प्रभारी प्राचार्यो के भरोसे ही गल्र्स कॉलेज रहा। सबसे अधिक समय तक प्रभारी पद पर मंजूलता शर्मा पदस्थ रहीं उनके स्थानांतरण के बाद वर्तमान में मोना द्विवेदी प्रभार देख रही हैं वे मूलत: सोशलॉजी की प्राध्यापक हैं। अधिकांश समय कॉलेज मैनेजमेंट की जानकारी जुटाने में ही देती हैं हालांकि समय मिलने पर पढ़ाना भी नहीं भूलती लेकिन यह नियमित नहीं रह पाता।
शासकीय पीजी कॉलेज पिपरिया
कुल 07 प्राध्यापको में से 02 पद रिक्त, सहायक प्राध्यापक 28 की तैनाती पदस्थ १६, कार्यालय स्टाफ २५ की तैनाती पदस्थ १४, प्राचार्य पद ०१ खाली,ग्रंथपाल पद०१ खाली,फीस वसूली कार्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी करते है।
शासकीय कन्या उमावि पिपरिया
यहां दर्ज छात्रा संख्या 944 है। इस पर कुल ३८ पद स्वीकृत पदस्थी १८ शिक्षकों की। फिजिक्स,अंग्रेजी विषय के स्थाई शिक्षक एक दशक से खाली। प्रयोगशाला सहायक ०४ पद ०२ खाली। लिपिक ०४ की तैनाती ०२ खाली। कन्या उमावि में महिला प्राचार्य की जगह पुरुष प्रभारी प्राचार्य अरविंद रघुवंशी चला रहे कन्या शाला जबकि एक्सीलेंस स्कूल में छात्रों के लिए महिला प्राचार्य हेमलता दास तैनात है।
शासकीय गल्र्स कॉलेज पिपरिया
यहां कुल दर्ज संख्या के मान से कुल शैक्षणिक पद १० है, पदस्थ नियमित ०३ शिक्षण कार्य ०७ अतिथि शिक्षकों के भरोसे। स्पोर्टस टीचर पद स्वीकृत लेकिन पदस्थी नहीं, बुक लिफ्टर नहीं, बाबू लेखापाल नहीं, महिला सफाई कर्मचारी भी नहीं है।
& स्टॉफ की कमी है। वनस्पति शास्त्र के प्रोफेसर प्रभारी के रूप में शासन के आदेश पर संस्था संचालन का दायित्व निभा रहे हैं।
प्राचार्य केडब्लू शाह, पीजी कॉलेज
&सोशलॉजी विषय की प्राध्यापक हैं। कॉलेज प्रभारी प्राचार्य का काम देख रहे हैं। स्टॉफ की कमी से जरुरी काम शिक्षा प्रभावित होती है।
-मोना द्विवेदी गल्र्स, कॉलेज प्राचार्य
&केमेस्ट्री के प्राध्यापक हैं, वर्तमान में स्कूल में स्टॉफ की कमी है अतिथि विद्वान तैनात किए हैं। बीईओ का प्रभार भी है समय मिलने पर कक्षा में पीरियड भी लेते हैं।
-अरविंद रघुवंशी, प्रभारी प्राचार्य कन्या उमावि
Published on:
08 Jan 2019 05:31 pm
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