आदिवासी समाज के युवा संगठन के आकाश कुशराम ने बताया सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से जब माना साकई ग्राम विस्थापित हुआ था, तो वह दो हिस्सों में बंटा। कुछ परिवार बागरा तवा के पास नया माना साकई 2 में बसे और कुछ परिवार तिलक सिंदूर के पास नया माना साकई 1 में विस्थापित हुए। उस समय विस्थापित होकर आए आदिवासी समाज के लोगों ने नया माना साकई 1 के पास शिवधाम तिलक सिंदूर में देवता को स्थापित किया था। उस दौरान सहमति बनी थी कि जब तक ग्राम नए सिरे से बस नहीं जाते, उस समय तक तिलक सिंदूर में देवता रहेंगे। इसी बीच बागरा तवा के पास विस्थापित परिवारों ने आकर देवता को उनके यहां ले गए। यही से विवाद शुरू हुआ। इस पर तिलक सिंदूर के पास विस्थापित भलावी परिवार ने इस पर आपत्ति ली। अंत में यह परिवार पथरौटा थाने पहुंचा। सूचना मिलने पर मौके पर टीआई एसएस चौहान, एसडीओपी एमएस चौहान तहसीलदार राजीव कहार पहुंचे और तीन घंटे की मशक्कत के बाद दोनों पक्षों को समझाइश देकर मामला शांत कराया।
गांवों के विस्थापन के समय देवता को उठाकर दूसरे आदिवासी पक्ष ले गया था। इस पर पहले पक्ष ने आपत्ति जताते हुए मंगलवार को पथरौटा थाने पहुंचे। हमने दोनों पक्षों में समझौता करा दिया। अब देवता वहीं जाएंगे, जहां पहले विराजे थे। इस पर दोनों पक्ष राजी हो गए हैं।
– एमएस चौहान, एसडीओपी, इटारसी।