
जमीन को लेकर अधर में लटक गई मछलियों की रानी महाशीर की हैचरी
narmdapuramनर्मदापुरम. जिले में मत्स्य पालन एवं नर्मदा-तवा की बाड़स मछली महाशीर के लुप्त होते अस्तित्व को बचाने के लिए दो साल पहले तवा बांध के आसपास हैचरी निर्माण की करीब 3 करोड़ की योजना बड़े जोर-शोर से शुरू की गई थी, लेकिन यह फाइलों में ही अटककर रह गई है। जबकि केंद्र सरकार से राशि मंजूर हो चुकी है। जो 3.71 एकड़ सरकारी जमीन तवा नगर के पास देखी गई थी, वह वनविभाग के रिजर्व एरिया की निकलने और आपत्ति आने से इसके आवंटन की प्रक्रिया रूक गई। दूसरी जमीन को मत्स्य पालन विभाग अभी तक न तो देख पाया और न ही इसका आवंटन राजस्व-नजूल विभाग के जरिए करवा पाया है। विभागीय अधिकारी का कहना है कि इस संबंध में दो बार शासन-प्रशासन स्तर से पत्राचार किया जा चुका है। योजना अभी पेंडिंग है। इस पर आगे के काम शुरू नहीं हो पाए हैं। दरअसल हैचरी निर्माण मत्स्य महासंघ के जरिए होना है। महासंघ को जमीन देने का प्रावधान नहीं है। जमीन विभाग को ही आवंटित होगी। अनुबंध के तहत महासंघ हैचरी का निर्माण और इसका संचालन करेगा। बता दें महाशीर प्रदेश की राजकीय मछली है। इसे स्पोर्ट्स फिश, टाइगर के नाम से भी जाना जाता है।
जमीन और डीपीआर में देरी
बड़ी हैचरी यानी बीज उत्पादन एवं विकास केंद्र के लिए वर्तमान में जमीन आवंटन और डीपीआर में देरी होने के कारण नर्मदा-तवा नदी की महाशीर-बाड़स को संवर्धन की योजना साकार रूप नहीं ले पा रही है। इसमें महाशीर के बीज तैयार कर नर्मदा-तवा नदी में डालने की योजना है। बता दें कि नर्मदापुरम की इस हैचरी को मुंबई के लोनावाला और नैनीताल के भीमावरम की तरह ही बनाया जाना है।
इसलिए जरूरी है महाशीर हैचरी
जिले में बिना बीज उत्पादन एवं संवर्धन के लगातार और अत्यधिक मत्स्याखेट के कारण महाशीर मछलियों की संख्या घट गई है। नर्मदा-तवा में पानी में से रेत के अंधाधुंध अवैध खनन, बढ़ते प्रदूषण एवं नदी के किनारों की जैवविविधता को नष्ट कर दिए जाने से इस मछली का अस्तित्व ही खत्म होने की स्थिति में है। इसलिए हैचरी का निर्माण समय की मांग के हिसाब से जरूरी हो गया है। ताकि मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हजारों मछुआरा परिवारों भी रोजगार-व्यवसाय मिल सके। इनकी बेरोजगारी की समस्या खत्म हो।
इनका कहना है...
महाशीर हैचरी के लिए जो तवा नगर के पास जमीन देखी व आवंटन की प्रक्रिया शुरू की गई वह जमीन वन विभाग के रिजर्व क्षेत्र की निकली थी। आपत्ति के बाद दूसरी जमीन देखी जा रही है। जैसे ही जमीन मिलेगी इसकी डीपीआर केंद्र सरकार को भेज दी जाएगी। मंजूरी के बाद मत्स्य महासंघ के जरिए काम शुरू कराए जाएंगे।
-राजीव श्रीवास्तव, सहायक संचालक मत्स्य विभाग नर्मदापुरम।
Published on:
17 Nov 2022 11:00 am
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