
एक दिन बंद होकर फिर से शुरू हो गया पानी के अंदर से अवैध खनन,एक दिन बंद होकर फिर से शुरू हो गया पानी के अंदर से अवैध खनन
नर्मदापुरम. प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अभी जिले से नहीं गए हैं। वे रविवार को चूरना के भ्रमण थे। उन्होंने शनिवार को ही एसपी कार्यालय भवन सभाकक्ष में जोन के चारों जिलों के एसपी को किसी भी तरह के माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाईयां तेज करने के निर्देश दिए थे, लेकिन रेत माफिया पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। डीजीपी के आगमन पर एक दिन शनिवार को तो पल्लेपार में रेत का अवैध खनन-परिवहन तो बंद रहा, लेकिन दूसरे ही दिन रविवार को अल सुबह से दर्जनों टै्रक्टर-ट्रॉलियों एवं मशीनों से नर्मदा के जल के अंदर से रेत उलीच कर ढोई जा रही थी। इसे रोकने वाला कोई नहीं था। विवेकानंद घाट, सर्किट हाउस घाट के सामने से नर्मदापुरम तक पाट तरफ अंधाधुंध रेत का खनन साफ दिखाई देता है। शायद जिम्मेदार अफसरों को सब कुछ तो दिखता है, लेकिन सामने का ये अवैध उत्खनन दिखाई नहीं देता। बता दें कि पत्रिका ने इस अवैध खनन को कई बार खबरों के जरिए उजागर किया है। रविवार को भी नजारे वहीं बने रहे। नर्मदा की सफाई व पर्यावरण के संरक्षण में जुटे समाजसेवियों, नर्मदासेवकों ने भी शासन-प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से नर्मदा-तवा सहित अन्य सहायक नदियों में से अवैध खनन, परिवहन पर सख्ती से रोक लगाने की मांग कई बार उठाई है। नर्मदापुरम-सीहोर जिले के खनिज, पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से छापेमारी कर टै्रक्टर-ट्रॉलियों को जब्त कर अवैध खननकर्ताओं पर आखिर कार्रवाईयां क्यों नहीं कर रहे इसको लेकर लोगों सवाल खड़े कर रहे हैं।
दो किमी दायरे में हो रहा खनन
पल्लेपार में जर्रापुर, जोशीपुर, जमनिया, गुंजारीघाट के दो किलोमीटर के दायरे में तट पर पानी के अंदर से खननकर्ताओं व्दारा रास्ते बनाकर रेत उलीचकर पहले ढेर बनाए जा रहे हैं, उसके बाद रेत को टै्रक्टर-ट्रॉलियों में भरकर इसका ऊपर की तरफ कई स्थानों पर अवैध स्टॉक किया जा रहा है, ताकि 15 जून से एनजीटी की रोक लगते ही बारिशकाल में रेत को महंगे दामों में बेचकर कमाई हो सके। डंपरों से रेत भरकर बुदनी होते हुए बरखेड़ा, औबेदुल्लागंज, भोपाल और इंदौर-धार तक बेची जा रही है।
ये हो रहा नुकसान
पल्लेपार में हो रहे अवैध खनन से नर्मदा का उत्तरी तट खोखला हो रहा है। गहरी खाइयां बन रही है। तट की मिट्टी का कटाव होकर यहां भारी मात्रा में रेत जमा हो रही है। पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं। नालों की संख्या भी बढ़ रही है। नर्मदा परिक्रमा-घूमने का रास्ता भी बंद हो रहा है। पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
Published on:
14 May 2023 10:26 pm
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