scriptTawa, which brings green revolution, will become like tributaries | अभी नहीं बचाया तो हरित क्रांति लाने वाली तवा के भी हो जाएंगे सहायक नदियों जैसे हाल | Patrika News

अभी नहीं बचाया तो हरित क्रांति लाने वाली तवा के भी हो जाएंगे सहायक नदियों जैसे हाल

locationनर्मदापुरमPublished: May 22, 2022 12:54:41 pm

Submitted by:

devendra awadhiya

मरी-मरी सी नदियां: सतपुड़ा के जंगल की कटाई, तटों पर अंधाधुंध रेत के उत्खनन से बिगड़ रही है तवा की सेहत

अभी नहीं बचाया तो हरित क्रांति लाने वाली तवा के भी हो जाएंगे सहायक नदियों जैसे हाल
अभी नहीं बचाया तो हरित क्रांति लाने वाली तवा के भी हो जाएंगे सहायक नदियों जैसे हाल
नर्मदापुरम. narmdapuram जिले में मुख्य नर्मदा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी तवा के हालात भी ठीक नहीं है। इसकी लंबाई 172 किमी है। इस पर बने बांध से साल में दो बार गेहूं एवं मूंग के लिए बड़ी मात्रा में पानी खींच लिया जाता है। मछलियों का अंधाधुंध शिकार भी बांध के जल के पर्यावरण सिस्टम को प्रभावित कर रहा है। यह नदी प्रमुख रूप से सतपुड़ा रेंज में बहती है। वर्तमान में गर्मी के चलते इसमें भी पानी का बहाव कम हो गया। कई स्थानों से इसकी धार बदल गई है। रेत के बड़े-बड़े टीले भी निकल आए हैं। अवैध खनन और तटीय गांवों में हो रही रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव से भी इस नदी की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। अगर तवा के संरक्षण-संवर्धन के कार्य भी शुरू नहीं हुए तो ये नदी भी आने वाले वर्षों में 41 सहायक नदियों की तरह नालों में तब्दील होकर सूख जाएगी। सिंचाई एवं पीने के पानी का संकट भी झेलना पड़ सकता है। बता दें कि करीब 44 गांवों बांध से जलमग्न होकर प्रभावित हुए थे।

बैखोफ खनन की शिकार तवा नदी
जिले में तवा नदी की ठेके की खदानें पिछले दस माह से बंद है। बड़ी-बड़ी ठेका कंपनियां भी वैध खदानें नहीं चला पाईं। दो कंपनियां तय ठेका अवधि के बीच में ही रेत व्यवसाय नहीं कर पाई है। सरकारी तौर पर किसी तरह का कोई खनन-परिवहन नहीं हो रहा है, लेकिन अवैध खनन बैखोफ जारी है। रेत माफिया रात के अंधेरे में मशीनों से खनन कर टै्रक्टर-ट्रॉलियों से इसका जमकर परिवहन कर जमकर स्टॉक रहे हैं, ताकि बारिशकाल में इसे मनमाने दामों में बेचा जा सके। ग्राम रायपुर, मालाखेड़ी, बांद्राभान, सांगाखेड़ा पुल, निमसाडिय़ा, तवा पुल के आसपास सहित बाबई, सेमरी, सोहागपुर, पिपरिया, बनखेड़ी, सिवनीमालवा, डोलरिया की नदियों व इनके तटों से रेत का अवैध खनन, परिवहन को रोकने खनिज व प्रशासन का अमला नाकाम साबित हो रहा। अवैध कारोबारी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से रेत चोरी कर शासन की रायल्टी का भारी नुकसान पहुंचा रहे।

ये है तवा नदी का उदगम
तवा नदी एक प्रमुख नदी है। इसका उदगम जिले के पंचमढ़ी के महादेव पर्वत श्रंखला की कालीभीत पहाडिय़ों से हुआ है। यह नर्मदा की सबसे लम्बी सहायक नदी कहलाती है। यह नदी बैतूल होते हुए नर्मदापुरम में मुख्य नर्मदा नदी में मिलती है। यह नदी छिंदवाड़ा, बैतूल, होशंगाबाद और आस-पास के इलाकों में ही बहती है और इस दौरान मालिनी, देनवा नदी तवा नदी में आकर मिल जाती है। नदी उत्तर और पश्चिम दिशा में बहती है, जहां यह नर्मदापुरम शहर के नजदीक बांद्राभान संगम स्थल में नर्मदा से मिलती है।
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