26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

82 वर्षीय मृत महिला का फिर हुआ जन्म, जानकर सब हैरान

नरसिंहपुर में यह अजीबोगरीब मामला सामने आया है, अब इस मामले की पूरे इलाके में चर्चा हो रही है।

2 min read
Google source verification
patrika_mp.png

नरसिंहपुर. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर से एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, अजीब इसलिए क्योंकि मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में एक 82 वर्षीय मृत महिला का फिर से जन्म हुआ है। यह पुर्नजन्म वाला मामला नहीं है, दरअसल यह करानामा सरकारी व्यवस्था में बैठे प्रतिनिधियों ने किया है। प्रतिनिधियों ने एक 82 वर्षीय मृत महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के बजाय जन्म प्रमाण पत्र बना दिया। अब यह मामला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है।

नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील के थूटी ग्राम पंचायत के रहने वाले शैलेश कौरव ने बताया कि उनकी दादी श्याम बाई कौरव का 82 साल की उम्र में 1 मई 2021 को निधन हो गया। निधन के बाद शैलेश ने रोजगार सहायक नितिन शर्मा को दादी के मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए अनुरोध किया। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन पाया। उन्होंने ग्राम पंचायत में भी आवेदन किया था। लेकिन रोजगार सहायक द्वारा ग्राम पंचायत को भी गुमराह किया जा रहा था।

पिछले महीने इसकी शिकायत करने के लिए शैलेश जनपद पंचायत चावरपथ पहुंचे, जहां कर्मचारियों ने उन्हें लोक सेवा केंद्र की जानकारी दी और कहा कि वह वहां जाकर आवेदन कर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं, फिर उन्होंने लोक सेवा केंद्र में अमित मालवीय और शिवानी पटेल को आवेदन के साथ नोटरी टैक्स फॉर्म जमा किया, जहां उन्हें मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए एक महीने का समय दिया गया।

एक महिने का सयय बितने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने पर सैलेश यह देखकर हैरान रह गया कि कर्मचारियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र के स्थान पर उसका जन्म प्रमाण पत्र चस्पा कर दिया था। शैलेश ने उन कर्मचारियों से कहा कि उन्होंने जन्म प्रमाण पत्र के लिए नहीं बल्कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। यह सुनते ही वहां तैनात कर्मचारी हैरान रह गए और अपनी गलतियों को छिपाने के लिए तरह-तरह के प्रयास करने लगे।

कई साल पहले 'एक सरकार, एक देश' योजना के तहत ग्राम पंचायत को अस्पताल से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र देने की व्यवस्था थी। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकारी कर्मचारियों और रोजगार सहायकों की तानाशाही के आगे लाभार्थी कहीं नहीं खड़ा है।