सरकार बदलते ही निरंकुश हुए कलेक्टर दीपक सक्सेना
महज 15 दिन पहले तक प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति के फोन पर सलामी दे की मुद्रा में आ जाने वाले नरसिंहपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना मध्यप्रदेश में सरकार बदलते ही निरंकुश हो चले हैं।
नरसिंहपुर. महज 15 दिन पहले तक प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति के फोन पर सलामी दे की मुद्रा में आ जाने वाले नरसिंहपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना मध्यप्रदेश में सरकार बदलते ही निरंकुश हो चले हैं। सक्सेना यहां अपनी कार्यशैली से प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की जनता की भलाई की भावना को कुचलते हुए प्रतीत हो रहे हैं। बल्कि कहा जाए कि शिवराज सरकार की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इसकी एक बानगी है यहां प्रेस की स्वतंत्रता के हनन का प्रयास। केंद्र की मोदी और प्रदेश की शिवराज सरकार ने कोरोना के लॉक डाउन के बीच प्रेस को काम करने की पूरी छूट दी पर दीपक सक्सेना ने इसके विपरीत काम किया। पहली ही फुर्सत मेें उन्होंने प्रेस पर प्रेसर बनाते हुए पत्रकारों को फील्ड में काम करने से रोकनेे का प्रयास किया। प्रेस को पेट्रोल की सुविधा बंद करने की बात कही। इसके बदले उन्होंने तर्क दिया कि वे प्रेस को संक्रमण से बचाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। पर जब प्रेस की ओर से सिंहनाद हुआ कि वे कलेक्टर के इस आदेश की पुंगी बना देंगे तो सुबह होने से पहले बैकफुट पर आ गए। बात यहीं खत्म नहीं होती, हॉकरों को अखबार बांटने और बिल की वसूली करने से भी रोका जा रहा है। यह सर्वविदित है कि सुबह हॉकर अखबार बांटते हैं और फिर दोपहर या शाम को बिल की वसूली करने जाते हैं। पर हॉकरों के लिए उन्होंने केवल सुबह का समय तय कर दिया है वह भी दो घंटे । इतना ही नहीं उनकी पेट्रोल सुविधा भी छीन ली जिससे अब हॉकर साइकिल पर अखबार बांटने को मजबूर हैं। इतने कम समय में न तो वे पूरे अखबार बांट पा रहे हैं और न ही बिल की वसूली कर पा रहे हैं। लॉक डाउन के बीच भाजपा के एक जिम्मेदार व्यक्ति के साथ जिस तरह मारपीट की गई उससे लोग अब कांग्रेस के शासन को याद करने लगे हैं। बताया गया है कि कलेक्टर को मिसगाइड करने में जनसंपर्क विभाग के नए नवेले अफसर की भी प्रमुख भूमिका है जिसके बारे में मीडिया कहती है कि अभी उसकी कच्ची लोई है। यह कच्ची लोई अपनी कार्यशैली से मीडिया और कलेक्टर के बीच तनाव पैदा कर रही है। मीडिया के लोग यह भी कहते हैं कि साहब तो अनुभवी अफसर हैं उन्हें कम से कम मीडिया के मामले में अपने विवेक से काम लेना चाहिए।
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