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मनरेगा में भ्रष्टाचार चरम पर, रिश्तेदारों के नाम पर हड़पी जा रही मजदूरी

-देवनगर पुराना पंचायत का मामला, कलेक्टर से शिकायत

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मनरेगा मजदूर (प्रतीकात्मक फोटो)

मनरेगा में भ्रष्टाचार चरम पर, अब रिश्तेदारों के नाम पर हड़पी जा रही मजदूरी

नरसिंहपुर. इस कोरोना काल में एक तरफ लोग दो जून की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बहुतेरों को वह भी नसीब नहीं हो रहा। सरकारें मनरेगा के तहत ज्यादा से ज्यादा लोगों को काम देने का दावा कर रही हैं। वहीं अफसरों की मिलीभगत से जिम्मेदार मनरेगा के नाम पर भ्रष्टाचार का परचम लहराने में जुटे हैं। आलम यह है कि जिम्मेदार अपने रिश्तेदारों को मजदूर दर्शा कर उनके नाम पर मजदूरी हड़प ले रहे हैं।


ऐसा ही एक मामला गोटेगांव तहसील की ग्राम पंचायत देवनगर पुराना में सामने आया है। यहां के ग्रामीणों की शिकायत है कि रोजगार सहायक ने अपने रिश्तेदारों को मजदूर बताकर मनरेगा की राशि हड़प ली है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की है।

ग्रामीणों ने कलेक्टर वेदप्रकाश से मिल कर बताया कि देवनगर पुराना पंचायत में रोजगार सहायक कमलेश कोरी, मनरेगा के मस्टररोल में अपने परिवारवालों को मजदूर बताकर बिना काम कराए ही वर्षों से गोलमाल कर रहा है। उन्होंने बताया कि रोजगार सहायक की मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं, बाजवूद इसके इनके पास राशन कार्ड है, वे बीपीएल श्रेणी का भी लाभ ले रहे हैं। इन्होंने जॉबकार्ड में पहले से रोजगार में होने की जानकारी नहीं दी है। इसके अलावा रोजगार सहायक ने 81 वर्षीय दादा जमना प्रसाद को भी मनरेगा की मजदूरी दिलाई है, जबकि इन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिलती है। परिवार के अन्य सदस्य पिता महेश, भाई आशीष, राकेश, चाचा श्यामलाल, बहन गीता, चाची मानाबाई तक को मनरेगा की मजदूरी प्रदान की है।

उन्होंने शिकायत की कि रोजगार सहायक पीएम आवास योजना में स्वीकृत राशि (1 लाख 20 हजार रुपये) लाभार्थियों के खाते में आने के बाद मजदूरी की राशि अपने परिवार के खातों में डालना शुरू कर देता है, जबकि ये परिजन किसी तरह की कोई मजदूरी नहीं करते हैं। इसके बाद लाभार्थी सहायक के चक्कर लगाने को मजबूर होता है। शिकायत पत्र में ग्रामीणों ने प्रमाण के तौर पर करीब एक दर्जन दस्तावेज संलग्न किए हैं।

देवनगर पुराना के ग्रामीणों ने बताया कि वे रोजगार सहायक की शिकायत अब तक जनपद गोटेगांव के सीईओ समेत एसडीएम तक से कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में अब कलेक्टर से न्याय की आस है। ग्रामीणों ने रोजगार सहायक को बर्खास्त करने की मांग की है।

कलेक्टर को शिकायती पत्र सौंपने वालों में अनिल कोरी, कमल पटेल, कमलेश कोरी, रंजीत रजक, कंचन कोरी, नेतराम चौधरी,जगदीश सेन आदि शामिल थे।

इस संबंध में जब देवनगर पुराना पंचायत के सचिव नरेंद्र कुमार पांडेय से बात की गई तो वे गोलमोल जवाब के साथ रोजगार सहायक का बचाव करते नजर आए। उनका कहना था कि 2008 में जब कमलेश कोरी मैट था ये मामला तब का है। उन्हें जब बताया गया कि ग्रामीणों ने कई दस्तावेज शिकायत के साथ कलेक्टर को सौंपे हैं तो वे खुद को मामले से अलग करते नजर आए। वे ये भी नहीं बता सके कि सचिव होने के नाते इतनी बड़ी गड़बड़ी उनके सामने कैसे होती रही।