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अवैध खनन से छलनी हो रहा नर्मदा का सीना, जिम्मेदार मौन, जहां खदान नहीं वहां से भी निकलती है रेत

जिले में खनन माफिया नियम-कायदों को रौंदते हुए बेखौफ खनन से जीवनदायिनी नर्मदा का सीना छलनी करने में लगे हैं। यह खनन उन स्थानों पर भी हो रहा है जहां न खदाने स्वीकृत भी नहीं है।

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जिले में खनन माफिया नियम-कायदों को रौंदते हुए बेखौफ खनन से जीवनदायिनी नर्मदा का सीना छलनी करने में लगे हैं।

नर्मदा के मुआंर घाट में इस तरह खनन चलता है।

Narmada River through illegal mining नरसिंहपुर. अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए जहां देश भर में बहस चल रही है। वहीं जिले में खनन माफिया नियम-कायदों को रौंदते हुए बेखौफ खनन से जीवनदायिनी नर्मदा का सीना छलनी करने में लगे हैं। यह खनन उन स्थानों पर भी हो रहा है जहां न खदाने स्वीकृत भी नहीं है। लेकिन शासन-प्रशासन ऐसे अवैध खनन को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। खनिज विभाग को तो मानों अवैध खनन-परिवहन को रोकने की परवाह ही नहीं है। जिम्मेदार अधिकारी अपने नफा-नुकसान के हिसाब-किताब में इतने ध्यान मग्न हैं कि उन्हें न तो नर्मदा से निकलती रेत दिखती है और न ही सडक़ों पर अवैध रेत लेकर दौड़ते वाहन।
जिले में रेत-बजरा, मुरम, मिट्टी का बेतहाशा अवैध खनन लंबे समय से चल रहा है। लेकिन इस पर प्रभावी रोक के लिए अब तक कोई ठोस और निरंतर कार्रवाई नहीं हो सकी है। जिससे अवैध खननकर्ताओं के हौसले इतने बुलंद है कि उन्हें शासन-प्रशासन की जरा भी चिंता नहीं है। खनिज विभाग से ज्यादा इन खननकर्ताओं का नेटवर्क मजबूत है। जिससे जब कभी लगातार शिकायतों के बाद यदि खनिज विभाग का अमला कार्रवाई की रस्म निभाने सक्रियता दिखाता भी है तो अमले के पहुंचने के पहले ही खननकर्ताओं को टीम के आने की सूचना मिल जाती है और घाट सूने हो जाते हैं। गोटेगांव क्षेत्र में खनिज विभाग की कहने को तो कोई खदान स्वीकृत नहीं है। लेकिन यहां गंगई और मुंआर घाट से हर दिन बड़े पैमाने पर रेत निकल रही है, परिवहन हो रही है लेकिन खनिज विभाग मंत्रमुग्ध बना बैठा है। जबकि जिले में बैठकों के दौरान प्रभारी मंत्री से लेकर सांसद और कलेक्टर से तक कई बार विभाग को अवैध खनन-परिहवन को सख्ती से रोकने के लिए निर्देश मिल चुके हैं। लेकिन साल भर बीतने को है लेकिन विभाग की कोई बड़ी कार्रवाई सामने नहीं आ सकी है।
न खनन के मानक तय न परिवहन में नियमों का पालन
जिले में खनिज विभाग की करीब 36 खदाने ही स्वीकृत है। लेकिन इन खदानों के अलावा भी कई अघोषित खदानें बन गई हैं और वहां खनन हो रहा है। आलम यह है कि नर्मदा समेत शक्कर, शेढ़, बरांझ, पाणाझिर आदि नदियों के घाटों पर जिसको जहां मौका मिलता है वहां से रेत निकालना शुरू कर देता है। रेत के खनन से लेकर परिवहन तक किसी स्तर पर तय मानकों का पालन नहीं हो रहा है। खनिज विभाग ने मानों जिले की नदियां अवैध खननकर्ताओं के सुपुर्द ही कर दी है। गाडरवारा के सामाजिक कार्यकर्ता पवन पटेल कहते है ंकि नर्मदा और उसकी सहायक नदियों में चल रहे रेत के अवैध खनन-परिवहन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने वह लगातार शिकायतें कर रहे हैं लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है।