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नेचुरल फार्मिंग से जुड़ेंगे तीन हजार से अधिक किसान

नेचुरल फार्मिंग से जुड़ेंगे तीन हजार से अधिक किसान,अपनाएँगे प्राकृतिक खेती का मॉडल 25 क्लस्टर के 3125 किसानों ने 1250हेक्टेयर में की प्राकृतिक खेती की तैयारी

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natural farming

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Natural Farming

.जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती किसानी का परिदृश्य इस वर्ष रबी सीजन में एक बड़े कृषि परिवर्तन का साक्षी बनने जा रहा है। वर्षों से रासायनिक खाद पर निर्भर किसान अब प्राकृतिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। जिले में लगभग 1250 हेक्टेयर भूमि पर जैविक पद्धति से फ सल उगाने की योजना बन चुकी है और 3,000 से अधिक किसान इस बदलाव में सक्रिय रूप से जुड़ रहे हैं। कृषि विभाग इसे जिले में होने वाली अब तक की सबसे व्यापक प्राकृतिक खेती पहल मान रहा है।


रसायनों के दुष्प्रभाव से चिंतित किसान अब लौटा रहे हैं प्रकृति का विश्वास


जिले में मध्यम काली मिट्टी खेती के लिए उपजाऊ मानी जाती है। यहां रबी, खरीफ और जायद तीनों मौसमों में अच्छी पैदावार होती है। मगर पिछले कई वर्षों में रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की सेहत लगातार गिरती गई। वर्मी कल्चर का अभाव, मिट्टी की जैविक सक्रियता में कमी, कीटों का बढ़ता प्रभाव और उत्पादन में ठहराव किसानों की आम चिंता बन गया।
स्थिति यह हो गई कि नरसिंहपुर में रबी के लिए मंगाई जाने वाली खाद की मांग निर्धारित सीमा से डेढ़ गुना तक पहुंच जाती है। खेती भले ही होती रही, पर खेत और पर्यावरण दोनों पर इसका बोझ बढ़ता गया। कई किसान बताते हैं कि रसायनों ने खेत को थका दिया है,ऊपरी पैदावार दिखती है, पर मिट्टी भीतर से कमजोर हो चुकी है। यही कारण रहा कि जिले के किसानों में अब जैविक खेती के प्रति रुचि तेज़ी से बढ़ी है।


25 क्लस्टर, 3125 किसान,जैविक खेती का तैयार हो रहा मजबूत नेटवर्क


प्राकृतिक खेती योजना के अंतर्गत जिले में 25 क्लस्टर बनाए गए हैं। अकेले करेली विकासखंड में 15 ग्राम पंचायतों के तहत 5 क्लस्टर तैयार हुए हैं, जिनमें 625 किसान पंजीकृत हैं। जिले में कुल 3125 कृषक प्राकृतिक खेती के मॉडल को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। इन क्लस्टरों में फ सल उत्पादन, खाद निर्माण, जैविक घोल, वर्मी कम्पोस्ट, खूबानी प्रबंधन जैसे विषयों पर प्रशिक्षण लगातार दिया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा गांव-गांव में ट्रेंनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि किसान बिना जोखिम के प्राकृतिक खेती की ओर सहजता से बढ़ सकें।


जैविक खेती,कम लागत, अधिक आय और स्वस्थ मिट्टी का लाभ


उप संचालक कृषि मोरिसनाथ बताते हैं कि जैविक खेती केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि किसान की जेब के लिए भी लाभदायक है। उनकी मानें तो रासायनिक खेती की तुलना में जैविक विधि कभी.कभी समान और कई बार अधिक उत्पादन देती है, खासकर वर्षा आधारित क्षेत्रों में। वे बताते हैं जैविक खाद से मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है, जल धारण क्षमता में सुधार होता है,खेत में पानी का वाष्पीकरण कम होता है, मिट्टी, पानी और अनाज में रासायनिक प्रदूषण रोका जा सकता है।


कलेक्टर ने किया किसानों को प्रेरित


प्राकृतिक खेती के विस्तार को गति देने के लिए कलेक्टर रजनी सिंह ने करेली विकासखंड के ग्राम पंचायत मानेगांव का भ्रमण किया। उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभों के बारे में बताया और उन्हें स्वाइल हेल्थ कार्ड भी वितरित किए। कलेक्टर सिंह ने गांव में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में कहा प्राकृतिक खेती केवल उत्पादन का तरीका नहीं, बल्कि मिट्टी, पर्यावरण और किसानकृतीनों की सुरक्षा का माध्यम है। हमें जैविक उत्पादों की छोटी पैकिंग बनाकर इन्हें हाट बाजार और एफ पीओ के माध्यम से स्थानीय बाजार तक पहुंचाना चाहिए।आत्मा परियोजना के तकनीकी प्रबंधक ने किसानों को मिट्टी परीक्षण, जैविक खाद निर्माण, क्लस्टर लाभ और आगामी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी।