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स्वामी प्रसाद मौर्या के बद्रीनाथ वाले बयान पर भड़के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद, बोले- वो विद्वान नहीं, बल्कि…

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद बोले- जिस तरह स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपना वक्तव्य दिया, वो निंदनीय है।

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स्वामी प्रसाद मौर्या के बद्रीनाथ वाले बयान पर भड़के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद, बोले- वो विद्वान नहीं, बल्कि...

चतुर्मास के दिनों में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर पहुंचे जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने झोतेश्वर आश्रम में स्वामी प्रसाद मौर्या के बद्रीनाथ वाले बयान को लेकर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, जिस तरह स्वामी प्रसाद मौर्या ने अपना वक्तव्य दिया, वो निंदनीय है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मोर्या के बयान का जिक्र किया कि, वो कहते हैं- आठवीं शताब्दी के पहले वहां पर बौद्ध तीर्थ था और बौद्ध तीर्थ को नष्ट कर हिंदुओं ने बद्रीनाथ धाम का निर्माण कर लिया। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने पलटवार करते हुए कहा कि, स्वामी प्रसाद ना तो धर्म के ज्ञाता है ना ही इतिहास के जानकार, वे सिर्फ एक राजनीतिज्ञ व्यक्ति हैं।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी पर ये भी कहा कि, वो सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने के लिए बीच-बीच में ऐसे बयान देते रहते हैं, जिससे हम हिंदुओं सनातनियों की भावनाओं को बार-बार ठेस पहुंचती रहती है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, अभी हम रामचरितमानस पर उनके द्वारा दिए बयान को भूले भी नहीं कि, उन्होंने फिर से एक बयान दे दिया की आठवीं शताब्दी में बौद्ध तीर्थ को तोड़कर बद्रीनाथ धाम बनाया है।

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सतयुग से है बद्रीनाथ धाम का कनेक्शन- शंकराचार्य

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, बद्रीनाथ धाम करोड़ों सनातनीयों की आस्था का केंद्र है और ये सतयुग में रखा गया नाम है। सतयुग से ही भगवान नर नारायण भगवान बद्रीनाथ जी की तपस्या का वर्णन मिलता है। वहां आज भी भगवान बद्रीनाथ जी तप कर रहे हैं जो धाम सतयुग से चला आ रहा है, उसे लेकर कहा जा रहा है कि, वो आठवीं शताब्दी में बौद्ध धर्म का था।


तथ्य हैं तो पेश करें मोर्य- शंकराचार्य

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया से चर्चा के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य से सवाल किया कि, अगर आपके पास कोई तथ्य हैं तो उन्हें प्रस्तुत करें। शंकराचार्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य से कहा कि, बगैर प्रमाण की कोई बात ना करें। अगर आपके पास प्रमाण हैं तो उसके आधार पर बात करें, न की बगैर सिर पैर के। ऐसा नहीं कि, आप राजनीति करके चले जाओ राजनीति करने वालो को भी जवाब देना पड़ेगा। आप किसी की भावनाओं को कभी भी छोड़ देते हो हम सनातनी ने किसी को भी बलपूर्वक स्वीकार नहीं किया। हम अखिलेश यादव से भी कहना चाहते हैं कि, हम सनातनीयों की भावनाओं का आपकी पार्टी के लोग बार-बार आहत करते हैं आप अपने नेताओं के बयान पर संज्ञान ले।