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सृष्टि के संतुलन में प्रत्येक नारी का योगदान : पं गणेशाचार्य

बिना किसी पदाधिकारी के 40 सालों से आयोजन कर रहा मानस शक्ति संघ

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devi bhagwat

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भौंरझिर-गाडरवारा। संत शिरोमणि सदानंद जी महाराज की प्रेरणा से ग्राम भौरझिर में देवी भागवत की पांचवें दिन की कथा में पंडित गणेशाचार्य द्वारा बताया गया कि नवरात्रि के नौ दिन मातृशक्ति के सम्मान के दिवस माने जाते हैं। सृष्टि के संतुलन में प्रत्येक नारी का योगदान होता है। भगवती स्कंदमाता के चरित्रों का वर्णन करते हुए आचार्य ने बताया अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष मानव जीवन में अति अनिवार्य हैं। सबकी आवश्यकता है। लेकिन मर्यादा के अंतर्गत ही कल्याणकारी हैं। प्रत्येक व्यक्ति को शक्ति की आराधना करना चाहिए, आराधना से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। जीवन में सात्विक ऊर्जा का संचार होता है, मानव जीवन में अति महत्वाकांक्षा कष्ट एवं बुराई का कारण बनती है। समान भाव से सबका आदर करना चाहिए। इससे मानव जीवन में मधुरता आती है। उल्लेखनीय है ग्राम भौरझिर में मानस शक्ति संघ जो कि बीते 40 वर्षों से सतत धार्मिक कार्य के आयोजन में लगा रहता है। जिसमें में कोई अध्यक्ष होता है न कोई सचिव तथा न कोई प्रमुख पदाधिकारी फिर भी निरंतरता बनाए हुए हैं, जिसमें सबको बराबर सम्मान मिलता है। नवरात्रि में मां दुर्गा की स्थापना पूर्ण विधि विधान से पूजन पाठ एवं दिव्य निराजन किया जाता है। जिसका लाभ ग्राम भौंरझिर एवं आसपास के ग्रामों के नर नारी ले रहे हैं। मानस शक्ति संघ एवं गणेश मंडल द्वारा लोगों से अपील की गई है कि देवी भागवत एवं देवी दरबार में देवी जी की पूजा अर्चन में शामिल होकर धर्म लाभ लें।