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नरसिंहपुर। फिल्में जहां समाज को दिशा देने का काम करती हैं, वहीं थिएटर अब भी समाज का आइना बना हुआ है। चाहे मनोरंजन की बात हो या समाज के किसी गंभीर विषय पर चर्चा, हर विषय को विस्तार से बताने और आम भाषा, बोलचाल के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का बेहतरीन जरिया है रंगमंच। आधुनिकता कितनी भी बढ़ जाए, लेकिन थिएटर का कोई स्थान नहीं ले सकता है।
यह आम से लेकर खास तक पहुंच रखता है, जबकि फिल्में कुछेक वर्ग को ही प्रभावित या उन तक अपनी बातें पहुंचा पाती हैं। नुक्कड़ नाटक से लेकर महंगे थिएटरों तक पहुंचने वाला व्यक्ति संवेदनाओं को समझने व विषयों पर पकड़ रखने वाला होता है। रंगकर्मी का अभिनय एक बार में ही सबकुछ कह देता है, यहां रीटेक का कोई अवसर नहीं मिलता। ये बात अभिनेता राजीव वर्मा व उनकी पत्नी रीता भादुड़ी ने कहीं।
विश्व रंगमचं दिवस के अवसर पर दोनों कलाकार नरसिंहपुर आए हुए हैं। जहां उन्होंने थिएटर से जुड़े अपने अनुभवों को बांटा और कलाकारों का हौंसला बढ़ाया। उन्होंने अपने साढूभाई अमिताभ बच्चन व साली जया बच्चन को बेहतर कलाकार बताया। उन्होंने कहा वे अभिनय को जीते हैं, महानायक इसलिए कहलाते हैं।