
डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत। फाइल फोटो पत्रिका
Rajasthan Aravalli : डूंगरपुर-बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने शुक्रवार को लोकसभा में शीतकालीन सत्र में अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण के मुद्दे पर अपना पक्ष रखा। सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि 20 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिश पर नई परिभाषा स्वीकार की है कि अरावली वहीं मानी जाएगी, जिसकी ऊंचाई 100 मीटर से अधिक होगी।
सांसद राजकुमार रोत ने बताया कि फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार अरावली की 12,081 पहाड़ियों में से केवल 1,048 ही इस परिभाषा में आती हैं। इसका परिणाम यह होगा कि लगभग 91 फीसदी अरावली क्षेत्र संरक्षण से बाहर हो जाएगी। इससे खनन गतिविधियों के लिए मार्ग खुल जाएगा। यह निर्णय वेट-विषयक, वन क्षेत्र, जलस्रोतों और पर्यावरणीय संतुलन के लिए अत्यंत हानिकारक होगा।
सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि इस नई परिभाषा पर तत्काल पुनर्विचार कर अरावली को पूर्ण संरक्षण प्रदान करते हुए इसके मूल स्वरूप को बनाए रखा जाए।
अरावली को राजस्थान की लाइफ लाइन कहा जाता है। पर यह लाइफ लाइन अब खतरे में है। पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद राजस्थान के लिए यह चिंता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने नीलगिरी पर्वत को लेकर दिए अपने निर्णय में माना है कि अरावली पर्वत का क्षेत्र अब सिकुड़ता जा रहा है। अरावली का लगभग 90 फीसदी हिस्सा 100 मीटर से भी कम की ऊंचाई का रह गया है। ऐसी स्थिति में 100 मीटर से नीचे के भूभाग को अब अरावली को पहाड़ी नहीं माना जाएगा।
Published on:
21 Dec 2025 12:30 pm
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