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1989 Kidnapping Case: जम्मू कोर्ट में पेश हुईं रूबिया सईद, अपने अपहरण के मामले में 32 साल बाद किया आरोपियों का खुलासा

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण के मामले में आज पेशी हुई। पेशी के दौरान रूबिया सईद ने अपने अपहरणकर्ताओं की पहचान की है। वहीं अपहरणकर्ताओं ने मजिस्ट्रेट के सामने खुद कबूला कि रूबिया को अगवा करने के मामले उनका हाथ था।

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1989 kidnapping case: Jammu and Kashmir former Chief Minister Mufti Mohammad's Daughter Rubaiya Sayeed identifies Yasin Malik in Jammu court

1989 kidnapping case: Jammu and Kashmir former Chief Minister Mufti Mohammad's Daughter Rubaiya Sayeed identifies Yasin Malik in Jammu court

8 दिसंबर 1989 को जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और केंद्र में गृहमंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रूबिया सईद का अपहरण हुआ था। इस मामले में रूबिया ने शुक्रवार को स्पेशल कोर्ट के सामने गवाही दी, वही इस मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के चीफ यासीन मलिक ने टेररिस्ट एंड डिसरप्टिव एक्टिविटी कोर्ट (टाडा कोर्ट) में पेश होने का आग्रह किया था। इस पूरे मामले की सुनवाई कर रही टाडा कोर्ट जम्मू ने पिछली सुनवाई के दौरान रुबिया सईद को पेश होने का निर्देश दिया था। निर्देशों के अनुसार आज सुबह रुबिया जानीपुर स्थित टाडा कोर्ट में पेश हुई।

दरअसल, जम्मू-कश्मीर में तमाम आतंकी घटनाओं में शामिल रहे और बीते दिनों टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा पा रहे यासीन मलिक ने बुधवार को जम्मू में CBI अदालत से कहा कि वह रुबिया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में खुद को पेश कर गवाह देना चाहता है। मलिक ने कहा कि इसकी अनुमति नहीं मिलने पर वह भूख हड़ताल करेगा।

वहीं करीब 32 साल पहले रूबिया सईद के अपहरण मामले में आतंकी और अलगाववादी नेता यासीन मलिक समेत कई अन्य आरोपी भी शामिल हैं। आज कोर्ट में गवाही के दौरान रूबिया सईद ने अपहरणकर्ताओं के तौर पर अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पहचान की है साथ ही 3 और अपहरणकर्ताओं को पहचान लिया है। कोर्ट में पेशी के दौरान अपहरणकर्ता अली मोहम्मद मीर, जमान मीर और इकबाल अहमद गंद्रू ने मजिस्ट्रेट के सामने खुद कबूला कि रूबिया को अगवा करने के मामले में वे और यासीन मलिक शामिल थे।

बता दें, अपहरणकर्ताओं ने रूबिया को रिहा करने के बदले 13 दिसंबर 1989 को पांच आतंकवादी छुड़वाए थे। उस समय मुफ्ती मोहम्मद सईद भारत के गृहमंत्री थे। उस वक्त केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी। आतंकियों को रिहा किए जाने के लगभग डेढ़ महीने बाद 25 जनवरी 1990 को यासीन मलिक व JKLF के अन्य आतंकियों ने श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 40 अन्य घायल हो गए थे।

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दूसरी तरफ अपहण का मामला ठंडे बस्ते में चला गया, मगर टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को 2019 में जब NIA ने गिरफ्तार किया, तो उस पर इस मामले में भी केस चलने लगा। पिछले साल जनवरी में CBI ने विशेष सरकारी वकीलों की मदद से मलिक सहित 10 लोगों के खिलाफ रुबिया अपहरण मामले में आरोप तय किए। इनमें अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमान मीर, इकबार अहमद गंद्रू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक पहलू, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराजउद्दीन शेख और शौकत बख्शी का नाम शामिल है।

गौरतलब है की 25 मई को प्रतिबंधित संगठन JKLF प्रमुख यासीन मलिक को NIA कोर्ट ने 2017 के टेरर फंडिंग मामले में दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई है। जनवरी 1990 में श्रीनगर के बाहरी इलाके में चार वायुसेना कर्मियों की हत्या किए जाने से संबंधित एक अन्य मामले में विशेष अदालत ने मार्च 2020 में, मलिक और छह अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे। वहीं यासीन मलिक पर अब रूबिया सईद के अपहरण का भी मामला दर्ज हो गया है। फिलहाल यासीन दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।

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