
सीगल पक्षी (फोटो-AI)
कर्नाटक के कारवार के निकट टैगोर बीच के पास एक पक्षी ह्यूगलिन सीगल के शरीर पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगी दिखी। हालांकि पक्षियों की गतिविधियों पर शोध के लिए डिवाइस इस्तेमाल करने वाली श्रीलंकाई वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन सोसाइटी (एसडब्लूसीएस) ने इसकी उड़ान की कहानी बताई है। वन विभाग के कोस्टल मरीन डिवीजऩ ने पुष्टि की है कि पक्षी ह्यूगलिन सीगल प्रजाति का है। इसमें सैटेलाइट टैगिंग और जीपीएस ट्रांसमीटर है। इसका इस्तेमाल श्रीलंकाई संस्थान ने पक्षियों की मूवमेंट स्टडीज़ के लिए किया था।
ह्यूगलिन सीगल पक्षी बर्फ जमे हुए इलाके में पैदा होता है, सर्दियों में उष्णकटिबंधीय श्रीलंका की ओर निकलता है। इस तरह से पहुंचे पक्षी को रिसर्च में इस्तेमाल के लिए पकड़ा गया और मार्च में सैटेलाइट टैगिंग इक्विपमेंट लगाया गया। पक्षी साइबेरिया गया था, बाद में आर्कटिक के किनारे पर पहुंचा। वहां प्रजनन (ब्रीडिंग) गतिविधियों के बाद श्रीलंका लौट आया। कोलंबो यूनिवर्सिटी के रिसर्च वैज्ञानिक संपत सेनेविरत्ने ने कहा कि पक्षी की उड़ान बीच में कारवार के पास रुक गई। अगर हम सैटेलाइट डेटा देखें, तो इस पक्षी की यह प्रजाति रात में भी उड़ती नजर आई।
ह्यूगन्स सीगल पक्षी के शरीर पर लगे जीपीएस ट्रांसमीटर पर चाइनीज़ एकेडमी ऑफ़ साइंसेज़ का नाम लिखा था। इससे शक हुआ कि यह चीन द्वारा नेवल बेस पर जासूसी के लिए इस्तेमाल किया गया पक्षी हो सकता है। पुलिस और नेवी अधिकारियों ने इस मामले की जांच की है। सूत्रों ने कहा कि श्रीलंकाई वन्य जीव संरक्षण संस्था समेत कई लोगों से पूछताछ की है और शुरुआती जांच में पता चला है कि श्रीलंकाई वन्य जीव संरक्षण संस्था को पक्षियों पर शोध के लिए चाइनीज़ एकेडमी से मदद मिली थी। आगे की जांच चल रही है।
श्रीलंकाई वन्य जीव संरक्षण संस्था के कहने पर पशु चिकित्सकों ने ह्यूगन सीगल पक्षी की खराब सेहत की वजह से उसके शरीर से जुड़ा जीपीएस ट्रांसमीटर हटा दिया है।
Published on:
19 Dec 2025 08:09 am
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