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तेज सोलर स्टॉर्म से हो सकता है सैटेलाइट सिस्टम हो सकता है तबाह, ठप पड़ सकती है दुनिया

प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के छात्रों के ग्रुप ने तेज सोलर स्टॉर्म और उससे जुड़े प्रभावों के बारे में अपने रिसर्च में खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि तेज सोलर स्ट्रॉम सैटेलाइट इंफ्रास्ट्रक्चर खत्म कर सकता है।

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Solar strom

सोलर स्ट्रॉम का प्रभाव, प्रतिकात्मक तस्वीर (AI इमेज)

अंतरिक्ष से जुड़े एक नई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि एक तेज सौर तूफान आने पर मौजूदा सैटेलाइट मेगा-कॉन्स्टेलशन सिस्टम कुछ दिनों में ही खराब हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक लो-अर्थ ऑर्बिट में काफी सैटेलाइट मौजूद हैं। हर 22 सेकेंड में वह एक दूसरे के पास से गुजरते हैं। उनके बीच की दूरी एक किलोमीटर से भी कम की होती है। वैज्ञानिक इन सैटेलाइट को पृथ्वी से कंट्रोल करते हैं ताकि उनके बीच टक्कर न हो।

प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के रिसर्च में खुलासा

प्रिंसटन यूनिवर्सिटी की PhD की छात्रा सारा थीले और उनके सहयोगियों ने अपने रिसर्च में बताया है कि सौर तूफान की स्थिति में सैटेलाइट पर ज्यादा खिंचाव की स्थिति पैदा होगी। इससे कई सैटेलाइट एक दूसरे के रास्ते में आ जाएंगे। इससे टक्कर होने की संभावना बनेगी। इससे बचने के लिए वैज्ञानिकों को कई तरह के उपाय करने होंगे।

उन्होंने अपनी रिसर्च में कहा कि अगर इंसान सैटेलाइट पर नियंत्रण खो देते हैं तो सोलर तूफान का खिंचाव उन्हें खतरनाक स्थिति में डाल देगा और तुरंत एक बड़ी तबाही ला देगा। एक नए मेट्रिक - कोलिजन रियलाइज़ेशन एंड सिग्निफिकेंट हार्म (CRASH) क्लॉक का इस्तेमाल करके शोधार्थियों ने अनुमान लगाया कि अगर वैज्ञानिक उपग्रहों को बचाने के लिए सही सिग्नल नहीं भेज पाते हैं तो प्रत्येक 3 दिनों में अंतरिक्ष में सैटेलाइटों (उपग्रहों) के बीच खतरनाक टक्कर होगी।

पूरा ऑर्बिट मलबे से भर जाएगा

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यह आंकड़ा जून 2025 के लिए सही है। यह 2018 के रिसर्च से बहुत बदल चुका है। शोधार्थियों ने कहा कि अगर ऑपरेटर्स सिर्फ़ 24 घंटे के लिए कंट्रोल खो देते हैं, तो टक्कर की 30 परसेंट संभावना है जो केसलर सिंड्रोम जैसी स्थिति पैदा कर सकती है, जिसमें ऑर्बिट मलबे के बादल से भर जाएगा, जिससे सैटेलाइट्स बेकार हो जाएंगे और नए सैटेलाइट्स लॉन्च नहीं हो पाएंगे।

सोलर तूफान से निपटने के लिए सैटेलाइट्स को चालू और सुरक्षित रखने के लिए रियल-टाइम एक्शन की जरूरत होगी। हालांकि, अगर यह सिस्टम फेल हो जाता है, तो इसे ठीक करने का समय बहुत कम होगा और ऐसा न करने पर सैटेलाइट्स का झुंड "ताश के पत्तों की तरह" बिखर जाएगा। रिसर्चर्स ने यह भी बताया कि अगर 1859 के कैरिंगटन इवेंट जितना तेज तूफान आता है, तो इंसान तीन दिनों से ज्यादा समय तक सैटेलाइट्स को कंट्रोल नहीं कर पाएंगे, जिससे आखिरकार हमारा सैटेलाइट इंफ्रास्ट्रक्चर खत्म हो जाएगा।

सैटेलाइट सिस्टम खत्म होने से क्या होगा

सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट, टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग और सैटेलाइट फोन बंद हो जाएंगे। GPS सिस्टम पूरी तरह से फेल हो जाएगा। जिन पर जहाजों, विमानों, और ट्रेनों की नेविगेशन पर निर्भर है। इससे ट्रैफिक जाम, दुर्घटनाएं, और देरी बढ़ सकती है। वेदर सैटेलाइट्स से रीयल-टाइम डेटा न मिलने से तूफान, बाढ़, और सूखे की भविष्यवाणी मुश्किल हो जाएगी। महासागरों पर विकसित होने वाले स्टॉर्म्स का पता नहीं चलेगा।