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‘इंदिरा गांधी के बाद वो ही जनता की…’, PM मोदी की इन बातों के कायल थे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक समझ और लोगों का अपार समर्थन मिलते देख पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उनकी तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से की।

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2014 में जब बीजेपी सत्ता में आई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब प्रणब मुखर्जी के भारत के राष्ट्रपति थे। इससे उनकी बेटी और जीवनी लेखिका शर्मिष्ठा मुखर्जी को आश्चर्य हुआ कि क्या उनके अलग-अलग राजनीतिक विचारों को देखते हुए दोनों के बीच कभी सुखद कामकाजी संबंध हो सकते हैं? क्या दोनों के मत किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक होंगे? शर्मिष्ठा ने पीएम मोदी के साथ अच्छे से काम कर के बेटी शर्मिष्ठा को आश्चर्यचकित कर दिया और वह नागपुर में आरएसएस को संबोधित करने वाले भारत के पहले पूर्व राष्ट्रपति भी बने और संगठन के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को "भारत माता का एक महान पुत्र" बताया।

पीएम की तारीफ में क्या बोले ?

शर्मिष्ठा के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी का विचार था कि "इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी एकमात्र ऐसे पीएम हैं, जो लोगों की नब्ज को इतनी तीव्रता और सटीकता से महसूस करने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने 23 अक्टूबर 2014 को अपनी डायरी में लिखा, 'पीएम की सियाचिन में जवानों और श्रीनगर में बाढ़ प्रभावित लोगों के साथ दिवाली मनाने का फैसला उनकी राजनीतिक समझ को दर्शाता है जो इंदिरा गांधी के अलावा किसी अन्य पीएम में नहीं दिखी।''

शर्मिष्ठा के अनुसार मुखर्जी यह तुलना अधिकार के साथ कर सकते थे क्योंकि उन्होंने 1969 से तत्कालीन पीएम गांधी को करीब से देखा था, जब वह उन्हें पश्चिम बंगाल से कांग्रेस सांसद के रूप में राज्यसभा में लाई थीं, और 1973 में उन्हें औद्योगिक विकास के लिए उप मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह दी थी।

मोदी ने प्रणब मुखर्जी के पैर छुए

2014 में भाजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने के अगले दिन मोदी राष्ट्रपति भवन में मुखर्जी से मिलने आए और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के पैर छुए और कहा, "दादा, आप मुझे अपने छोटे भाई की तरह मार्गदर्शन और सलाह दें। फिर मैंने उन्हें अपना पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया।"

मोदी को कट्टर देशभक्त बताया

एक डायरी में प्रणब मुखर्जी ने लिखा: "हमने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने मुझसे कहा कि वह मेरी सलाह को महत्व देते हैं और मैंने उनसे कहा कि उन्हें मेरा पूरा सहयोग मिलेगा। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि:

1. उनके विचारों में स्पष्टता है और शासन कला के प्रति उनका दृष्टिकोण पेशेवर है।

2. वह लोगों की नब्ज को बहुत मजबूती से महसूस करते हैं।

3. वह सीखना चाहता है और यह दिखावा नहीं करता कि वह सबकुछ जानता है।

4. एक कट्टर आरएसएस कार्यकर्ता के रूप में, वह कट्टर देशभक्त और राष्ट्रवादी हैं।