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ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद धड़ाम से गिरा शेयर बाजार, खुलते ही 800 प्वाइंट लुढ़का

अमेरिका के ईरान पर हमले का असर शेयर मार्केट पर भी पड़ा है। कारोबारी हफ्ते के पहले दिन शेयर मार्केट खुलते ही सेंसेक्स 800 प्वाइंट लुढ़का। निफ्टी में भी 300 अंकों की गिरावट देखी गई।

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Share Market (Photo: IANS)

Share Market (Photo: IANS)

अमेरिका (America) के ईरान (Iran) पर हमले का असर अर्थव्यवस्था (Economy) पर भी दिखने लगा है। आज शेयर मार्केट (Share Market) खुलते ही औंधे मुंह गिरा है। मार्केट खुलते ही 800 प्वाइंट नीचे गिरा। सेंसेक्स फिलहाल 81,500 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। निफ्टी में भी 300 अंकों की गिरावट आई है। निफ्टी 24,830 पर कारोबार कर रहा है। इंफोसिस, टेक महिंद्रा, जोमैटो सहित लगभग 13 शेयरों में 2 फीसदी की गिरावट है।

बाजार गिरने की वजह

अमेरिकी हमले के बाद ईरानी संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है। इस खबर से दुनिया भर की चिंताएं बढ़ गई हैं, स्ट्रेट ऑफ होर्मुज ग्लोबल ऑयल ट्रेड का अहम रास्ता है। दुनिया का 25 फीसदी तेल इसी रास्ते से गुजरता है। ईरान के प्रस्ताव के बाद वैश्विक बाजार में तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। तेल की कीमत बढ़ने का सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। इससे मुनाफा घटेगा और देश की इकोनॉमी पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

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ग्लोबल मार्केट में भी गिरावट

अमेरिका के ईरान पर हमले का असर ग्लोबल मार्केट पर भी दिखने लगा है। एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई करीब 227 अंक फिसला है। निक्केई 38175 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। कोरिया के कोस्पी में करीब 21 अंक की गिरावट आई है। कोस्पी 3000 पर कारोबार कर रहा है। हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग इंडेक्स भी 25 अंक लुढ़का है। हैंगसेंग 23505 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।

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भारत पर क्या होगा युद्ध बढ़ने से असर

भारत के तेल आयात का दो तिहाई से ज्यादा हिस्सा और LGP का लगभग आधा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत हर दिन 5.5 मिलियन बैरल तेल की खपत करता है, जिसमें से 1.5 मिलियन बैरल जलमार्ग से होकर गुजरता है।

विदेश मामलों के जानकारों ने कहा कि अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो भारत को निश्चित रूप से नुकसान होगा। दुनिया का करीब 20 फीसदी कच्चा तेल और 25 फीसदी प्राकृतिक गैस इन्हीं से होकर बहती है। उन्होंने कहा कि भारत को नुकसान होगा क्योंकि तेल की कीमतें बढ़ेंगी, मुद्रास्फीति बढ़ेगी और एक अनुमान है कि कच्चे तेल की कीमत में प्रत्येक दस डॉलर की वृद्धि से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को 0.5 प्रतिशत का नुकसान होगा।