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राहुल गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका, अमेरिका में सिख समुदाय पर दिया था विवादित बयान

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित तौर पर राहुल गांधी की उस पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दायर एक याचिका को विशेष अदालत द्वारा स्वीकार किए जाने को चुनौती दी थी।

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Rahul Gandhi

राहुल गांधी (Photo-IANS)

अमेरिका में सिख समाज के खिलाफ बयान देने के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी फंसते जा रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जो वाराणसी स्थित एमपी/एमएलए विशेष अदालत के एक आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। विशेष अदालत का यह आदेश राहुल गांधी द्वारा पिछले साल अमेरिका में दिए गए एक बयान से संबंधित था, जिसमें उन्होंने भारत में सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता पर टिप्पणी की थी।

वाराणसी की एमपी/एमएलए अदालत में जा सकता है मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की उस पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने वाराणसी की एक अदालत द्वारा उनके खिलाफ दायर एक याचिका को स्वीकार करने के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट के इस कदम का मतलब है कि अब यह मामला वाराणसी की एमपी/एमएलए अदालत में जा सकता है।

सिख धर्म को लेकर की थी ये टिप्प्णी

आपको बता दें कि यह मामला राहुल गांधी द्वारा 2024 में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान की गई एक टिप्पणी से जुड़ा है। उन्होंने एक टिप्पणी के साथ राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था, जिससे ऐसा प्रतीत होता था कि सिख भारत में अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन नहीं कर सकते। गांधी ने कहा था, लड़ाई इस बात पर है कि क्या उन्हें, एक सिख के रूप में, भारत में पगड़ी पहनने की अनुमति दी जाएगी; या क्या उन्हें, एक सिख के रूप में, भारत में कड़ा पहनने की अनुमति दी जाएगी; या क्या उन्हें, एक सिख के रूप में, गुरुद्वारा जाने की अनुमति दी जाएगी। लड़ाई इसी बात पर है।

नागेश्वर मिश्रा ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा

राहुल गांधी की टिप्पणी से विवाद उत्पन्न होने के बाद वाराणसी के नागेश्वर मिश्रा नामक एक व्यक्ति ने कांग्रेस नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। नवंबर 2024 में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मुकदमा चलाने की मांग वाली अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी कि भाषण अमेरिका में दिया गया था और इसलिए यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। हालांकि, विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) की अदालत ने इस साल 21 जुलाई को मिश्रा द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार कर लिया और एसीजेएम को मामले की नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया।