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उमर अब्दुल्ला के रूख पर अमित शाह की पैनी नजर! जानें क्यों सरकार की चाल-ढाल का चल रहा विश्लेषण

Jammu Kashmir: उमर सरकार ने जीरो टोलरेंस की नीति अपनाने का वादा जरूर किया है लेकिन इस पर ईमानदारी से अमल की बड़ी मिसाल पेश नहीं कर पाई है। पढ़ें नवनीत मिश्र की स्पेशल स्टोरी

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मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को उचित समय पर पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा निभाने में जल्दबाजी के मूड में नहीं है। जानकार सूत्रों के अनुसार आतंकवाद और अलगाववाद के प्रति राज्य की उमर अब्दुल्ला सरकार की जीरो टोलरेंस नीति के रुख पर ही केंद्र का सुधार का कदम तय होगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय की कश्मीर डेस्क में अलगाववाद के प्रति नेशनल कांफ्रेंस सरकार की चाल-ढाल का लगातार विश्लेषण चल रहा है। उमर सरकार ने जीरो टोलरेंस की नीति अपनाने का वादा जरूर किया है लेकिन इस पर ईमानदारी से अमल की बड़ी मिसाल पेश नहीं कर पाई है। सूत्रों का कहना है कि उनकी जीरो टोलरेंस नीति के प्रति पूरा भरोसा होने पर केंद्र सरकार पूर्ण राज्य बहाली करने का निर्णय लेगी। पूर्ण राज्य बनते ही पुलिस और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार के पास वापस आ जाएगी।

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इसलिए है रुख पर संशय

इस साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर के तीन सरकारी कर्मचारियों को आतंकी गतिविधियों से नाता रखने के आरोप में उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा ने बर्खास्त कर दिया था। सीएम उमर ने इसे मनमाने ढंगे से बर्खास्तगी बताते हुए सवाल उठाए थे। पिछले साल गांदरबल में हुए आतंकी हमले में 7 लोगों की जान गई तो उमर ने इसे उग्रवादी हमला करार दिया था। इसके अलावा भी उनके कई बयान अलगाववादियों के प्रति नरम रुख जाहिर करते हैं।

कहीं पानी न फिर जाए, इसलिए हिचक

अनुच्छेद 370 का खात्मा कर प्रदेश की कमान संभालने के बाद केंद्र ने मिशन मोड में विकास कार्यों की गति बढ़ाई वहीं आतंकियों के प्रति सख्ती और जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई। यह नीति कारगर रही और 2019 से पहले की तुलना में आतंकी घटनाओं में 70% की कमी आई। पत्थरबाजी समाप्त हो गई। शांति से हुए विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक मतदान हुआ। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र अभी घाटी के हालात में और सुधार लाने के उपायों में जुटी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'पत्रिका' से कहा कि हालात पूरी तरह सुधार की ओर हैं, ऐसे में थोड़ी भी ढिलाई बरती गई या राज्य सरकार का रुख नरम हुआ तो आशंका है कि किए कराए पर पानी न फिर जाए। केंद्र सरकार कतई ऐसा नहीं चाहती, इसलिए पूर्ण राज्य का दर्जा देने की जल्दबाजी नहीं की जाएगी।

कैसे घोषित होगा पूर्ण राज्य

प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए उमर सरकार ने पहली कैबिनेट में ही प्रस्ताव पारित कर एलजी को भेज दिया था। राजभवन ने 19 अक्टूबर 2024 को इसे गृह मंत्रालय भेज दिया है। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के जरिए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुर्नगठित किया गया था। इसलिए पुन: राज्य का दर्जा देने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में नए कानूनी बदलाव पारित करने होंगे। उसके बाद ही प्रक्रिया से जम्मू-कश्मीर फिर से पूर्ण राज्य बन पाएगा।