
Caste census: सामाजिक-आर्थिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण (जातिवार जनगणना) रिपोर्ट को लेकर उठे सियासी तूफान के बीच मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा कि वह 17 अप्रेल को बुलाई गई मंत्रिमंडल की विशेष बैठक में चर्चा के बाद ही इसपर कुछ बोलेंगे। यहां सोमवार को बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की 134 वीं जयंती पर मुख्यमंत्री कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। इस दौरान जाति जनगणना को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस एकमात्र विषय पर चर्चा के लिए 17 अप्रेल को मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई है। मंत्रिमंडल में इस पर विस्तृत विचार विमर्श होगा। उसके बाद ही वह इस विषय पर बोलेंगे। इससे पहले 11 अप्रेल को राज्य मंत्रिमंडल ने जातिवार जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था जिसको लेकर प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है।
चन्नगिरी के कांग्रेस विधायक बसवराजू वी. शिवगंगा ने कहा कि एक दशक पहले कराया गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट काफी भ्रामक है। वह इस रिपोर्ट से बिल्कुल सहमत नहीं हैं। शिवगंगा ने कहा कि जाति जनगणना के मुद्दे पर वह अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासभा के अध्यक्ष व वरिष्ठ पार्टी विधायक शामनूर शिवशंकरप्पा के रूख के साथ प्रतिबद्ध हैं। सरकार को रिपोर्ट जारी करने से पहले इस पर चर्चा करनी चाहिए थी। अगर सरकार रिपोर्ट जारी करती है और उस पर अमल करती है तो यह शर्मनाक होगा। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में कहा गया है कि वीरशैव-लिंगायत समुदाय के उप-संप्रदाय सदारा से संबंधित केवल 67 हजार लिंगायत हैं। अकेले चन्नगिरी विधानसभा क्षेत्र में ही लगभग 60 हजार सदारा लिंगायत हैं। उन्हें समझ में नहीं आता कि जनगणना कैसे की गई। राज्य में 1.25 करोड़ वीरशैव लिंगायत हैं। उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यदि प्रत्येक जाति के लोगों की संख्या पारदर्शी तरीके से दी जाए तो यह लाभकारी होगा।
दावणगेरे स्थित श्रीशैलम पीठ के चन्नसिद्धराम पंडिताराध्या शिवचार्य स्वामी ने कहा कि राज्य सरकार जाति जनगणना रिपोर्ट जारी करने का प्रयास कर रही है। लेकिन, जो रिपोर्ट तैयार की गई है, वह अवैज्ञानिक है, वस्तुनिष्ठ नहीं है। यह रिपोर्ट पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर तैयार की गई है। इसलिए अखिल भारतीय वीरशैव महासभा के प्रतिनिधि संगठन ने इसे खारिज कर दिया है। राज्य के अन्य बहुसंख्यक समुदायों ने भी इसे खारिज कर दिया है। इसका एक ही कारण है कि सभी लोगों से संपर्क करके, उनसे उनकी भावनाएं और जानकारी एकत्र करके यह रिपोर्ट ईमानदारी से तैयार नहीं की गई है। केवल चार दीवारों के बीच बैठकर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इसलिए सरकार फिर से जाति जनगणना कराए।
Published on:
15 Apr 2025 07:45 am
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