गाजा संकट के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम का विरोध
इजरायल द्वारा गाजा पर लगातार हमले किए जाने, बड़े पैमाने पर आम नागरिकों की मौत और मानवीय संकट को देखते हुए, कई लेखक संगठनों, कलाकारों और नेताओं ने इस फेस्टिवल का विरोध किया। तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स एंड आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (TNPWAA) ने 26 मई को एक सख्त बयान जारी करते हुए ICAF से कार्यक्रम को पूरी तरह रद्द करने की मांग की। उनके अनुसार, “गाजा में इजरायली सेना द्वारा हो रहे हमलों के बीच इस तरह का कार्यक्रम आयोजित करना राजनीतिक और नैतिक संवेदनशीलता की भारी कमी को दर्शाता है।”
प्रतीकात्मक समर्थन का खतरा
TNPWAA का कहना है कि यह महज एक फिल्म स्क्रीनिंग नहीं, बल्कि एक ऐसा सांकेतिक कदम है जिसे इजरायल सरकार के प्रति समर्थन के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने चेन्नई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल से तुलना पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, “तमिलनाडु की परंपरा हमेशा उत्पीड़ितों के साथ खड़े होने की रही है, न कि हमलावरों के साथ।” कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल की तीखी प्रतिक्रिया कांग्रेस के सांसद शशिकांत सेंथिल ने भी इस आयोजन पर सवाल उठाए। उन्होंने कला के माध्यम से संवाद और संवेदना की बात की, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा, “जब दुनिया के एक हिस्से में लोग भारी संकट में हों, तब ‘तटस्थ’ रहना भी एक तरह से अन्याय में भागीदारी मानी जाती है।” उनका मानना है कि यह समय सांस्कृतिक तटस्थता का नहीं, बल्कि नैतिक स्थिति स्पष्ट करने का है।
पहले भी रद्द हो चुके हैं ऐसे आयोजन
यह पहली बार नहीं है जब भारत में इजरायल से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम को विरोध के चलते स्थगित या रद्द किया गया है। अगस्त 2024 में मुंबई में आयोजित होने वाला इजरायली फिल्म फेस्टिवल भी जनता और संगठनों के दबाव के कारण नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा रद्द कर दिया गया था।