साल 1972 में मेघालय के अलग होने के बाद असम की राजधानी दिसपुर (गुवाहाटी) में स्थानांतरित की गई थी। असम विधानसभा का पहला बजट सत्र 16 मार्च 1973 को अस्थाई राजधानी दिसपुर में हुआ। इसके बाद से विधानसभा एक अस्थाई भवन में ही चल रही थी। फिर विधानसभा का नया भवन बनाने की परिकल्पना की गई और साल 2009 में इसकी नींव रखी जा सकी। उस वक्त इसके निर्माण पर 234.84 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया, लेकिन निर्माण पूरा होने में देरी के साथ साथ लागत भी बढ़ती चली गई।
कागज रहित होगा कामकाज
नए विधानसभा भवन में सार कामकाज कागज रहित यानी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से चलेगा। दिसपुर में बने इस भवन तक आने के लिए मंत्रियों-विधायकों को सिर्फ कुछ ही मिनटों में दूरी तय करनी पड़ेगी। इसके निर्माण में पूर्वोत्तर के शिल्प का खास ध्यान रखा गया है।
ऐतिहासिक महत्व भी कम नहीं
ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो असम विधानसभा देश की सबसे पुरानी विधानसभाओं में शामिल हैं। ब्रिटिश संसद में 2 अगस्त 1935 को पारित भारत सरकार अधिनियम 1937 में लागू हुआ। इसके तहत हर प्रांत में विधानसभा के गठन का प्रावधान किया गया। इसके अनुरूप गठित असम विधानसभा की पहली बैठक 7 अप्रैल 1937 को अविभाजित असम की पूर्व राजधानी शिलोंग स्थित असेम्बली चैम्बर में हुई थी।
घटती बढ़ती रही संख्या
विधानसभा की सदस्य क्षमता भी कई बार घटती-बढ़ती रही है। आजादी के बाद पहली विधानसभा (1952-57) में इसके 108 सदस्य थे, जो दूसरी विधानसभा (1957-62) में घटकर 105 रह गए। फिर तीसरी विधानसभा (1967-72) में यह संख्या 114 हुई और इसके बाद पांचवीं विधानसभा (1972-78) में इसकी सीटें 126 हो गई, जो अब तक बरकरार हैं।