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अब जवानों से घर के काम नहीं करा सकते अफसर, असम सरकार ने उठाया सख्त कदम

locationनई दिल्लीPublished: Apr 09, 2022 04:27:03 pm

Submitted by:

Archana Keshri

असम सरकार ने निचले पद के कर्मचारियों के शोषण पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस पहल की है। पुलिस और सुरक्षा बलों में बड़े अफसरो द्वारा निचले पद के कर्मचारियों को घरेलू कार्य के लिए उपयोग करना आम बात हो गई थी, जिसको लेकर सरकार ने इस शोषण पर अंकुश लगाने के लिए कुछ पहल की है।

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मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की सरकार ने बहुत पहले से चले आ रहे शोषण को रोकने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पुलिस और सुरक्षा बलों में बड़े अफसरों का निचले पद के कर्मचारियों को घरेलू सहायक के तौर पर दुरुपयोग करना आम है। असम की सरकार ने इस ओर ध्यान देते हुए निर्देश जारी किया है ताकि अब किसी भी पुलिस अफसर को किसी भी बटालियन के पुलिसकर्मी का इस्तेमाल निजी घरेलू कार्यों में करने की इजाजत नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने बटालियन के कमांडेंट (सीओ) और तमाम पुलिस अधीक्षकों से इस बारे में 10 दिनों के अंदर एक लिखित हलफनामा देने का निर्देश दिया है। उनका कहना है कि अगर किसी भी घरेलू कार्य में इस्तेमाल की स्थिति में संबंधित अधिकारी को अपनी जेब से उसका वेतन देना होगा। साथ ही सरमा ने उन आरोपों पर रिपोर्ट देने का सख्त निर्देश दिया है जिसमें कहा गया है कि विभिन्न पदों पर तैनात पुलिस अधिकारियों ने निजी सुरक्षा अधिकारी, हाउस गार्ड और घरेलू सहायक आदि को बिना इजाजत के निजी तौर पर रखा है।
आपको बता दें, मुख्यमंत्री सरमा के पास गृह विभाग भी है, ऐसे में उनका कहना था कि पुलिस वालों की भर्ती कानून और व्यवस्था को बनाए रखने और सरकारी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए की जाती है। मगर उनका इस्तेमाल पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न सशस्त्र बटालियनों के कर्मियों को निजी और घरेलू कामों में लगाया है।
उन्होंने कहा, “हम यह परंपरा खत्म करना चाहते हैं। अगर उच्चाधिकारियों की रिपोर्ट, हलफनामे या जांच के दौरान कोई अधिकारी किसी निजी सुरक्षा गार्ड या दूसरे जवान से निजी काम लेता है तो उसे उसका वेतन भी देना होगा। सरकार ऐसे जवानों का वेतन बंद कर देगी।”
देश में सुरक्षा बलों के उच्चाधिकारियों पर निचले पद वाले जवानों से निजी काम लेने या आवास पर घरेलू सहायक के तौर पर इस्तेमाल करने की परंपरा बहुत पुरानी है। और इस बात को लेकर समय-समय पर यह आरोप उठता रहता है। लेकिन ताकतवर लॉबी की सक्रियता के कारण यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।
हाल में सामने आए रिपोर्ट के अनुसार यह बात भी सामने आई है कि उच्चाधिकारियों के अलावा तमाम मंत्रियों, पूर्व अधिकारियों और कई अन्य लोगों के घरों पर भी ऐसे जवानों की तैनाती होती रही है। उदाहरण के तौर पर देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल CRPF की कई बटालियनों में भले ही जवानों की कमी हो, लेकिन VIP लोगों के घरों पर इन जवानों की तैनाती में कमी नहीं आई है।
तो वहीं इनकी तैनाती वहां बिना किसी लिखित आदेश के मौखिक तौर पर की जा रही है। जिन भी घरों में इनको तैनात किया जा रहा है वहां वे लोक ड्राइवर, कुक या निजी सहायक के तौर पर काम कर रहे हैं। इन VIP नेताओं की लिस्ट में केंद्रीय मंत्री, पूर्व मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी के अलावा CRPF के डीजी, सीआरपीएफ के पूर्व डीजी, एडीजी, आईजी और डीआईजी तक शामिल हैं।

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यहां तक की कुछ कर्मचारियों के तैनाती का 5 साल से भी ज्यादा का समय गुजर चुका है। इस काम के लिए तैनात किए जाने के बाद वो जवान अपनी आवाज इसलिए नहीं उठा पाते थे क्योंकि उन्हें इस बात का डर रहाता था कि अगर ये आदेश वह नहीं मानेगें तो एसी स्थिति में उनका सर्विस रिकार्ड खराब हो जाएगा। और हो सकता है कि उन्हें अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ जाए।
इस संदर्भ में असम सरकार द्वारा शुरू किए गए इस पहल की लोग सराहना कर रहे हैं। कोलकाता के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि असम सरकार की यह पहल सकारात्मक है। पुलिसवालों का काम आम जनता की सुरक्षा करना है न की किसी अधिकारी के घर का साग-सब्जी लाना। उनका काम कानून व व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखना है न की किसी अधिकारी के बच्चे को स्कूल पहुंचाना। अगर यह पहल कामयाब रही तो इसे दूसरे राज्यों को भी अपनाना चाहिए।

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