
बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी। बिहार की जाति जनगणना के आंकड़ों से पता चला कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) बिहार की आबादी का 63% से अधिक हैं। यह अपनी तरह का देश का पहला सर्वे है। इससे पहले 1951 से 2011 तक स्वतंत्र भारत में प्रत्येक जनगणना के दौरान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर डेटा प्रकाशित किया गया है, लेकिन अन्य जातियों का डेटा जारी नहीं किया गया।
बिहार सरकार के जाति जनगणना (Caste Census) के नतीजे जारी करने के कुछ ही समय बाद कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भी मांग की है कि सात साल पुरानी कर्नाटक जाति जनगणना के नतीजों को तुरंत सार्वजनिक किया जाए।
2015 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कराया था सर्वेक्षण
बिहार का जातिवार डेटा आने के बाद कांग्रेस शासित एक राज्य पर भी इसी तरह का दबाव बन रहा है। हम बात कर रहे हैं दक्षिणी राज्य कर्नाटक की। बिहार जाति जनगणना रिपोर्ट जारी होने के बाद, अब सभी की निगाहें 2015 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पहले कार्यकाल के दौरान आयोजित कर्नाटक की अप्रकाशित जाति जनगणना पर हैं।
2015 की जाति जनगणना पर सिद्धारमैया सरकार ने लगभग 160 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसे आधिकारिक तौर पर सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के रूप में जाना जाता है। इस सर्वे में 45 दिनों में 1,60,000 लोगों की भागीदारी देखी गई थी। इस दौरान 1 करोड़ 35 लाख घरों को कवर किया गया था।
कांग्रेस नेता ने की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद ने x पर एक पोस्ट किया, जिसमें सिद्धारमैया सरकार उनकी पहली सरकार में कराए गए जातीय जनगणना के नतीजों को सार्वजनिक करने की अपील की गई है। उनके लहजे और भाव से पता चलता है कि कांग्रेस सरकार के लिए अब इस संवेदनशील डेटा को पब्लिक में जारी करना जरूरी हो गया है, जो कर्नाटक के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को स्थायी रूप से बदल सकता है।
कांग्रेस के नेता हरिप्रसाद ने पोस्ट करके कहा कि ‘इंडिया गठबंधन द्वारा शासित बिहार ने अपनी जाति जनगणना जारी की है। राहुल गांधी ने पिछड़े वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के बारे में भावुक होकर बात की है। अब कर्नाटक के लिए 2017 में कराई गई जाति जनगणना के आंकड़ो को तुरंत जारी करना अनिवार्य है।’ कर्नाटक अब जाति जनगणना के आंकड़ों को जारी करने के लिए तैयारी कर रहा है। जो संभावित रूप से इस राज्य के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को स्थायी रूप से बदल सकता है और राज्य की राजनीति को उल्टा कर सकता है।
विपक्ष का कांग्रेस पर निशाना
इस मसले पर कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने कहा, “सिद्धारमैया सरकार ने 2014 में 180 करोड़ से अधिक खर्च करके जाति जनगणना समिति का गठन किया था। अब भी उन्होंने जमा किए गए असली दस्तावेज को जारी नहीं किया है। हम निश्चित रूप से दबाव डालेंगे।
उन्होंने कर्नाटक के नागरिकों से कंथाराज समिति द्वारा दी गई प्रस्तुति को जारी करने का वादा किया।" भाजपा विधायक अश्वथ नारायण ने अप्रकाशित जाति जनगणना पर टिप्पणी करते हुए सिद्धारमैया और कांग्रेस सरकार को "तुष्टिकरण की राजनीति को अपना ट्रेडमार्क" बताते हुए "विभाजनकारी" बताया।
Published on:
03 Oct 2023 04:58 pm
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