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7 करोड़ की लूट की कहानी 54 घंटों में आई सामने, 200 पुलिसवालों ने ढूंढ निकाले 5.76 करोड़

बेंगलुरु में एटीएम वैन से 7.11 करोड़ रुपये लूटने के मामले में, पुलिस ने एक कार्यरत कांस्टेबल और कंपनी के पूर्व कर्मचारी सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, और उनके पास से 5.76 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए हैं।

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7 crore rupees looted from HDFC cash van.

ATM वैन जिससे 7 करोड़ रुपये लूटे गए (फोटो- Prajwal D'Souza एक्स पोस्ट)

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में ATM वैन से करोड़ों रुपये लूटने वाले आरोपी आखिरकार पकड़े गए है। पुलिस ने घटना के कुछ ही दिनों में इसकी गुत्थी सुलझा दी और इसमें शामिल एक कांस्टेबल समेत तीन लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है। पुलिस जांच में सामने आया कि, कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी ने वैन के इंचार्ज और गोविंदपुरा पुलिस स्टेशन में तैनात कांस्टेबल के साथ मिलकर इस लूट की साजिश रची थी। पुलिस कमिश्नर सीमंत कुमार सिंह ने बताया कि, 7.11 करोड़ की लूट के मामले में इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके पास से 5.76 करोड़ रुपये नकद भी बरामद किए गए हैं।

RBI और आयकर अधिकारी बनकर की डकैती

यह घटना बुधवार दोपहर करीब साढे़ 12 बजे से एक बजे के बीच हुई थी। आरोपियों ने दक्षिण बेंगलुरु के एक व्यस्त फ्लाईओवर के पास आयकर और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) अधिकारी बनकर एक एटीएम वैन को लूटा था। CMS Info Systems नामक कंपनी की यह कैश वैन HDFC बैंक, JP नगर से 22 किलोमीटर दूर HBR लेआउट जा रही थी। इसे जयनगर 2nd ब्लॉक, अशोक पिलर के पास बदमाशों ने रोक लिया और RBI के नियमों का उल्लघंन करने की बात कह कर वैन में मौजूद सारा कैश लेकर वहां से फरार हो गए।

11 टीमों में 200 पुलिसकर्मी कर रहे थे आरोपियों की तलाश

घटना के बाद से ही पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही थी। पुलिस ने इसके लिए 11 टीमें बनाई थी और 200 से अधिक पुलिसकर्मियों को बदमाशों को ढूंढने की जिम्मेदारी दी गई थी। शुक्रवार को पुलिस को इस मामले में किसी अंदरूनी व्यक्ति के मिले होने का संदेह हुआ। इसके बाद ही पुलिस ने आरोपी कांस्टेबल और CMS कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। जांच में सामने आया कि, इस कर्मचारी ने हाल ही में कंपनी से इस्तीफा दिया था और कांस्टेबल के संपर्क में आया था।

विभिन्न राज्यों में जांच, कई से पूछताछ

पुलिस की टीमें कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना तक फैली हुई थीं, और कुछ टीमें गोवा तक भी पहुंच गईं। जांचकर्ताओं ने तकनीकी सुराग, क्षेत्रीय खुफिया जानकारी, सीसीटीवी फुटेज और वाहन गतिविधि के आंकड़ों को एकत्रित कर 30 से अधिक लोगों से पूछताछ की। यह प्रयास जल्द ही रंग लाया। पहले 24 घंटों के भीतर ही पुलिस ने संदिग्धों और उनमें शामिल वाहनों की पहचान कर ली। तीनों आरोपियों को 54 घंटे के भीतर हिरासत में ले लिया गया और अगले छह घंटों में लूटी गई 5.76 करोड़ रुपये की रकम बरामद कर ली गई।

मोबाइल टावर डेटा से मिले महत्वपूर्ण सुराग

लूट की जगह से मिले मोबाइल टावर डेटा की जांच में भी पुलिस को इन आरोपियों के खिलाफ एक बड़ा सुराग हाथ लगा। पुलिस ने उस इलाके में उस समय सक्रिय सभी मोबाइल फोन की जांच की जिसमें सामने आया कि लूट के दौरान कांस्टेबल और CMS के पूर्व कर्मचारी ने कई बार एक दूसरे से फोन पर बात की थी। इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों के फ़ोन रिकॉर्ड्स की जांच की जिससे पता चला कि दोनों घटना से कुछ दिन पहले से लगातार एक-दूसरे से बात कर रहे थे।

आरोपियों द्वारा उपयोग की गई गाड़ी की जांच में भी हुए खुलासे

इसी के साथ अपराध के बाद आरोपी जिस गाड़ी में भागकर गए वह भी इस मामले में महत्वपूर्ण सुराग साबित हुई। यह गाड़ी घटना के बाद चित्तूर ज़िले के तिरुपति के पास लावारिस हालत में पाई गई थी। पुलिस ने बताया कि, यह आरोपी तीन महीने पहले से इस लूट की साजिश रच रहे थे। उन्होंने वैन के पूरे रूट को समझा और लूट के लिए ऐसी जगह को चुना जहां सीसीटीवी कैमरा नहीं लगे थे। लेकिन पुलिस ने कुछ ही दिनों में इस गैंग का भंडाफोड़ कर दिया और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।