
दिल्ली में आयोजित व्याख्यान में RSS प्रमुख ने दिए सवालों के जवाब (फोटो- IANS)
संघ के शताब्दी वर्ष के तहत विज्ञान भवन में चल रही लेक्चर सीरीज '100 वर्ष की संघ यात्रा-नए क्षितिज' के आखिरी दिन प्रश्नोत्तर कार्यक्रम में कई सवालों के जवाब दिए हैं। संघ प्रमुख डॉ. भागवत से जब पूछा गया कि 75 साल के बाद क्या राजनीति से सेवानिवृत हो जाना चाहिए? इस पर मोहन भागवत ने कहा कि, मैंने कभी नहीं कहा कि 75 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए। न मैं रिटायर्ड होऊंगा और न ही किसी और (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) को होने के लिए कहूंगा।
डॉ. भागवत ने संघ का भाजपा या केंद्र सरकार में किसी तरह की दखल से इंकार करते हुए कहा कि हम सिर्फ सलाह देते हैं, निर्णय उन्हें करना होता है। भागवत ने चुटकी लेते हुए कहा- अगर हम तय करते तो इतना समय लगता क्या? भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी को लेकर इशारों ही इशारों में ली गई इस चुटकी पर पूरा विज्ञान भवन ठहाकों से गूंज उठा। इस दौरान भागवत ने कहा कि हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है, इसे घोषित नहीं करना है, क्योंकि यह घोषणा का मोहताज नहीं है।
जवाब- मुक्त होना चाहिए। भारत को आत्मनिर्भर और स्वदेशी मॉडल पर कार्य करना चाहिए।
जवाब- मैंने ये बात मोरोपंत पिंगले जी को कोट करते हुए कही थी कि वे कितने मजाकिया व्यक्ति थे? मैंने उनके विचार रखे थे। मैंने ये नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या किसी और को रिटायर हो जाना चाहिए। हम जीवन में किसी भी समय रिटायर होने के लिए तैयार हैं। संघ हमसे 80 साल में शाखा लगाने को कहेगा तो लगाऊंगा। संघ जिस भी समय तक काम कराना चाहेगा, हम संघ के लिए उस समय तक काम करने के लिए भी तैयार हैं।
जवाब- हमारे यहां मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होता। भाजपा सरकार में सब कुछ आरएसएस तय करता है? ये पूर्णत: गलत बात है। ये हो ही नहीं सकता। मैं कई साल से संघ चला रहा हूं, वे सरकार चला रहे हैं। सलाह दे सकते हैं, लेकिन उस क्षेत्र में फैसला उनका है, इस क्षेत्र में हमारा है। इसलिए हम तय नहीं करते। हम तय करते तो इतना समय लगता क्या? हम तय नहीं करते। हमारे भाजपा ही नहीं, सभी सरकारों से अच्छे संबंध रहे हैं।
जवाब- अनुमति लेकर किसी देश में जाना चाहिए, चोरी से नहीं। घुसपैठ को रोकना चाहिए। सरकार कुछ प्रयास कर रही है, धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। लेकिन समाज के हाथ में है कि हम अपने देश में रोजगार अपने देश के लोगों को देंगे। अपने देश में भी मुसलमान नागरिक हैं। उन्हें भी रोजगार की जरूरत है। मुसलमान को रोजगार देना है तो उन्हें दीजिए। जो बाहर से आया है उन्हें क्यों दे रहे हो? उनके देश की व्यवस्था उन्हें करनी चाहिए।
जवाब- संघर्ष को धीरे-धीरे समाप्त करना होगा। इस्लाम जब से भारत में आया, उस दिन से इस्लाम यहां है और रहेगा। ये मैंने पिछली बार भी कहा था। हिंदुओं की सोच ऐसी नहीं है कि इस्लाम यहां नहीं रहेगा। दोनों जगह ये विश्वास बनेगा तब ये संघर्ष खत्म होगा। पहले ये मानना होगा कि हम सब एक हैं।
जवाब- दुनिया में सब शास्त्र कहते हैं कि जिनकी जन्म दर 3 से कम होती है, वे धीरे-धीरे लुप्त हो जाते हैं। डॉक्टर लोग बताते हैं कि विवाह में बहुत देर न करने और 3 संतान करने से माता-पिता और संतानों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। तीन बच्चे साथ रहते हैं तो इगो हैंडल करना सीख जाते हैं। भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक को ये देखना चाहिए कि अपने घर में 3 संतान होनी चाहिए। हां, तीन से अधिक नहीं होना चाहिए।
जवाब- जो हमसे सहायता मांगते हैं, हम उन्हें सहायता देते हैं। हम सहायता करने जाते हैं तो जो दूर भागते हैं, उन्हें सहायता नहीं मिलती तो हम क्या करें? आपको सिर्फ एक पार्टी दिखती है, जिसकी हम सहायता कर रहे हैं। लेकिन कभी-कभी देश चलाने के लिए या पार्टी का कोई काम अच्छा है तो हमारे स्वयं सेवक जाकर मदद करते हैं। हमारी तरफ से कोई रुकावट नहीं है। उधर से रुकावट है। हम उनकी इच्छा का सम्मान करके रूक जाते हैं। नागपुर में जब मैं प्रचारक था तो एनएसयूआइ के कार्यक्रम में भोजन व्यवस्था अव्यवस्था में बदल गई तो संघ के स्वयंसेवकों ने भोजन कराया था।
सवाल- भाषाओं पर विवाद नहीं होना चाहिए। भारत की सभी भाषाएं, नेशनल लैंग्वेज हैं। हमारे भाव, विदेशी भाषा में व्यक्त नहीं होते। ऐसे में एक व्यावहारिक भाषा होनी चाहिए, यह भाषा कौन सी होगी? यह मिलकर तय करना चाहिए। अंग्रेजी पढऩे से हिंदुत्व पर असर नहीं पड़ता। लेकिन, अंग्रेजी साहित्य पढऩा और भारतीय साहित्य छोड़ देना, यह ठीक नहीं है।
सवाल- आक्रमणकारियों के नाम पर शहरों और रास्तों के नाम नहीं होने चाहिए। इसका धर्म से लेना-देना नहीं है। इसलिए ये वीर अब्दुल हमीद और अब्दुल कलाम के नाम पर होने चाहिए।
जवाब- अगर हम हिंसा में विश्वास करते तो आज इस तरह सार्वजनिक कार्यक्रम करने की जगह कहीं अंडरग्राउंड छिपे होते। हिंसा करने वाला कोई भी संगठन देश के 75 हजार स्थानों पर फैल नहीं सकता। मनुष्य को हिंसा नहीं प्रेम से ही जोड़ा जा सकता है।
जवाब- संघ ने राम मंदिर के आंदोलन को पूर्णता दी। लेकिन, मथुरा और काशी को लेकर कोई आंदोलन संघ नहीं करेगा, लेकिन अपने स्वयंसेवकों को रोकेगा भी नहीं।
Updated on:
29 Aug 2025 10:48 am
Published on:
29 Aug 2025 10:39 am
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