
अमेरीकी कंपनी होल्टेक इंटरनेशनल अब भारत में परमाणु रिएक्टर बना सकेगी। अमरीका के ऊर्जा विभाग ने उसे इसकी मंजूरी दे दी है। मंजूरी अमरीका के परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1954 के एक नियम के तहत दी गई। करीब 20 साल पहले भारत और अमरीका के बीच असैन्य परमाणु समझौता हुआ था। देश में परमाणु रिएक्टर इसी समझौते के तहत बनेगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक होल्टेक इंटरनेशनल भारत की तीन कंपनियों को अपनी तकनीक दे सकती है।
इनमें होल्टेक एशिया, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड और एलएंडटी शामिल हैं। यह तकनीक छोटे परमाणु रिएक्टर (एसएमआर) बनाने की है। होल्टेक इंटरनेशनल को भारतीय-अमरीकी क्रिस पी. सिंह चलाते हैं। होल्टेक एशिया 2010 से पुणे में काम कर रही है। इसका एक कारखाना गुजरात में भी है। होल्टेक इंटरनेशनल तीन सरकारी कंपनियों को भी यह तकनीक देना चाहती है। इनमें न्यूक्लीयर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, थर्मल यूटिलिटी एनटीपीसी और एटोमिक एनर्जी रिव्यू बोर्ड शामिल हैं।
भारत सरकार ने इन कंपनियों के कुछ जरूरी कागज नहीं दिए, इसलिए फिलहाल इनकी मंजूरी नहीं मिली है। होल्टेक जिन तीन कंपनियों को तकनीक देगी, उन्हें कई शर्तों का पालन करना होगा। वे तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ शांतिपूर्ण कामों के लिए करेंगी। इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने या किसी सैन्य काम के लिए नहीं किया जाएगा। अभी 10 साल के लिए मंजूरी मिली है। हर 5 साल में इसकी समीक्षा की जाएगी।
यह तकनीक भारत के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। इससे सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा मिल सकेगी। देश परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में और आगे बढ़ेगा। परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में नए बदलाव की संभावना है। भारत को अपनी रिएक्टर तकनीक को बेहतर बनाने का मौका मिल सकता है। इससे परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। अभी इन परियोजनाओं की गति बहुत धीमी है।
Published on:
31 Mar 2025 08:55 am
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